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नील अक्षय ऊर्जा स्रोतों से भारत में 9.2 लाख TWh तक विद्युत उत्पादन की क्षमता

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 19-Sep-2024

चर्चा में क्यों

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) के शोधकर्त्ताओं ने एकीकृत महासागर ऊर्जा एटलस विकसित किया है, जो ज्वारीय तरंगों और धाराओं जैसे संभावित नीले अक्षय ऊर्जा स्रोतों के लिये भारत के समुद्र तट की मैपिंग करता है। अनुमान है कि भारत का विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) लगभग 9.2 लाख TWh उत्पन्न कर सकता है। इसमें ज्वारीय ऊर्जा के लिये पश्चिम बंगाल और गुजरात, लवणता प्रवणता ऊर्जा के लिये आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की पहचान की गई है

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS)

  • स्थापना: वर्ष 1999
  • मुख्यालय:  हैदराबाद
  • यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है
  • यह समुद्री सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग को समर्थन देने के लिये समुद्री सूचनाएँ और सेवाएँ प्रदान करने पर केंद्रित है
  • प्रमुख कार्य: महासागर पूर्वानुमान, सुनामी पूर्व चेतावनी, समुद्री डेटा और अनुसंधान, तटीय एवं समुद्री पर्यावरण तथा एकीकृत महासागर ऊर्जा 

नीली अक्षय ऊर्जा

  • इसका तात्पर्य समुद्री एवं समुद्री स्रोतों से नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन से है

प्रकार 

  • ज्वारीय ऊर्जा: चंद्रमा और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ज्वार के उठने और गिरने का उपयोग करती है। 
  • तरंग ऊर्जा: समुद्री सतह की लहरों से ऊर्जा प्राप्त करती है
  • महासागरीय धारा ऊर्जा: महासागरीय धाराओं के सतत् प्रवाह से ऊर्जा का उपयोग करती है
  • लवणता प्रवणता ऊर्जा : समुद्री जल और अलवण जल के बीच लवणीय-सांद्रता के अंतर का उपयोग करती है। 
  • समुद्री तापीय ऊर्जा : गर्म पृष्ठीय जल और ठंडे गहन ल के बीच तापमान के अंतर का उपयोग करती है।