H5N1 बर्ड फ्लू

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी


 08-Jan-2025

चर्चा में क्यों?  

लुइसियाना के एक 65 वर्षीय निवासी, जो पहले से ही स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त थे, की H5N1 बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने के कारण मृत्यु हो गई। यह घटना वर्ष 2025 में वायरस के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली मानवीय मृत्यु का प्रतिनिधित्व करती है।  

H5N1 बर्ड फ्लू क्या है?  

  • H5N1, या एवियन इन्फ्लूएंजा A (H5N1), एक अत्यधिक रोगजनक वायरस है जो मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करता है, लेकिन स्तनधारियों को भी संक्रमित करने में सक्षम है।  
  • इसकी उत्पत्ति 1996 में चीन में हुई और यह तेज़ी से एक अत्यधिक रोगजनक प्रजाति के रूप में विकसित हो गयी।  
  • वर्ष 2020 से यह यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तर और दक्षिण अमेरिका और अंटार्कटिका में फैल चुका है।  
  • भारत में इसका पहला प्रकोप वर्ष 2015 में महाराष्ट्र और गुजरात में सामने आया था।  

पशुओं पर प्रभाव  

  • कैलिफोर्निया कोंडोर्स जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों सहित जंगली पक्षी गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।  
  • पहले के प्रकोपों में मुर्गियाँ ही मुख्य रूप से प्रभावित प्रजातियाँ थीं।  
  • समुद्री स्तनधारी जीव, जैसे सी लायन और डॉल्फिन, विशेष रूप से चिली और पेरू में मृत्यु हुई।  
  • लोमड़ियाँ, प्यूमा, भालू (उत्तरी अमेरिका) और फार्म में पाले गए मिंक (स्पेन, फिनलैंड) जैसे स्तनधारी भी संक्रमित हुए हैं।  

मानवीय जोखिम और प्रसार कारक  

  • H5N1 से मानव संक्रमण दुर्लभ है और आमतौर पर संक्रमित पक्षियों के संपर्क के माध्यम से होता है।  
  • जलवायु परिवर्तन से पक्षियों के व्यवहार और प्रजातियों के बीच परस्पर क्रिया में परिवर्तन होने से वायरस का प्रसार बढ़ सकता है।  

WHO जोखिम मूल्यांकन  

  • यह वायरस मनुष्यों को आसानी से संक्रमित नहीं करता है, लेकिन पोल्ट्री के संपर्क में आने से इसके छिटपुट मामले सामने आते हैं।  
  • मानव-से-मानव में संक्रमण दुर्लभ है, लेकिन संभव है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पोल्ट्री प्रकोप व्यापक है।  
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि सामान्य आबादी के लिए समग्र जोखिम कम है, लेकिन निरंतर निगरानी और जोखिम प्रबंधन की आवश्यकता पर बल दिया गया है।  

निवारक उपाय और सिफारिशें  

  • जीवित पशुओं के बाजार जैसे उच्च जोखिम वाले वातावरण से बचना और हाथों की अच्छी स्वच्छता बनाए रखना।  
  • बीमार पशुओं की सूचना दें और बीमार मुर्गी पालन से बचना।  
  • संक्रमित पक्षियों या वातावरण के संपर्क में आने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लेना।