गुलियन बैरे सिंड्रोम
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
28-Jan-2025
चर्चा में क्यों?
पुणे में गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिसके परिणामस्वरूप एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और 17 रोगियों को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता पड़ी। एक केंद्रीय विशेषज्ञ टीम तैनात की गई है और कमला नेहरू अस्पताल में 45-बेड वाले एक विशेष वार्ड स्थापित किया गया है।
गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS)
अवलोकन
- परिधीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाला एक गंभीर स्वप्रतिरक्षी विकार।
- लक्षणों में कमज़ोरी, झनझनाहट और अंगों में सुन्नता शामिल है, जो 6-12 महीने या उससे अधिक समय तक चलने वाले पक्षाघात में बदल सकती है।
- मांसपेशियों की गति, दर्द, तापमान और स्पर्श संवेदनाओं के लिये ज़िम्मेदार तंत्रिकाओं पर प्रभाव डालता है।
- यह रोग वयस्कों और पुरुषों में अधिक पाया जाता है, लेकिन सभी आयु वर्गों को प्रभावित कर सकता है।
कारण
- इसका सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन अक्सर यह जीवाणु या विषाणु संक्रमण के कारण होता है।
- दुर्लभ मामलों में, टीकाकरण या सर्जरी से जोखिम थोड़ा बढ़ सकता है, हालाँकि इसकी संभावना बहुत कम है।
- अध्ययनों से पता चलता है कि GBS का खतरा टीकों की तुलना में फ्लू जैसे संक्रमणों से अधिक है।
उपचार
- उपचार के लिये प्लास्मफेरेसिस (प्लाज्मा को रिमूव और रिप्लेस करना) जैसी प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है।