वैश्विक प्रकृति संरक्षण सूचकांक, 2024
पर्यावरण और पारिस्थितिकी
28-Oct-2024
चर्चा में क्यों?
वैश्विक प्रकृति संरक्षण सूचकांक (NCI) 2024 में भारत 180 देशों में से 176वें स्थान पर है, जो जैव विविधता संरक्षण और सतत् भूमि उपयोग में गंभीर चुनौतियों का संकेत देता है। 24 अक्तूबर को जारी किये गए इस सूचकांक में भारत को 100 में से 45.5 अंक दिये गए हैं, जो इसे किरिबाती, तुर्की, इराक और माइक्रोनेशिया के साथ सबसे कम रैंक वाले पाँच देशों में से एक बनाता है, जो तत्काल संरक्षण की जरूरतों को दर्शाता है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें
- भूमि रूपांतरण मुद्दे : भारत की लगभग 53% भूमि शहरी, औद्योगिक और कृषि उपयोग के लिये परिवर्तित हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक आवासों को काफी नुकसान हो रहा है।
- उच्च कीटनाशक उपयोग और मृदा प्रदूषण : यह अत्यधिक कीटनाशक उपयोग और मृदा प्रदूषण के बारे में चेतावनी देता है, जिसमें 0.77 का चिंताजनक सतत् नाइट्रोजन सूचकांक है, जो बेहतर मृदा स्वास्थ्य की आवश्यकता का संकेत देता है।
- सीमित समुद्री संरक्षण : भारत के केवल 0.2% जलमार्ग संरक्षित हैं और इसके अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में कोई संरक्षित समुद्री क्षेत्र नहीं है, जो समुद्री संरक्षण में अंतर को उज़ागर करता है।
- आवास की हानि और विखंडन : वनों की कटाई, शहरीकरण और बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण आवास विखंडन और जैवविविधता की हानि हो रही है, वनों की कटाई की दर चिंताजनक है - वर्ष 2001 और वर्ष 2019 के बीच 23,300 वर्ग किमी वृक्ष क्षेत्र नष्ट हो गया।
- संरक्षित क्षेत्रों में प्रजातियों की संख्या में कमी : यद्यपि 40% समुद्री और 65% स्थलीय प्रजातियाँ संरक्षित क्षेत्रों में हैं, फिर भी जनसंख्या में गिरावट जारी है - 67.5% समुद्री और 46.9% स्थलीय प्रजातियों की संख्या में कमी आ रही है।
- अवैध वन्यजीव व्यापार : भारत चौथा सबसे बड़ा अवैध वन्यजीव व्यापारी है, जिसका वार्षिक कारोबार £15 बिलियन है।
- ये निष्कर्ष सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 14 (जल के नीचे जीवन) और 15 (भूमि पर जीवन) को पूरा करने में भारत की चुनौतियों को दर्शाते हैं।
प्रकृति संरक्षण सूचकांक (NCI)
- लॉन्च: अक्तूबर 2024
- द्वारा विकसित: नेगेव के बेन-गुरियन विश्वविद्यालय के गोल्डमैन सोननफेल्ड स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी एंड क्लाइमेट चेंज तथा जैवविविधता डेटा के रखरखाव के लिये समर्पित एक गैर-लाभकारी वेबसाइट BioDB.com द्वारा।
- यह चार मानदंडों का उपयोग करके संरक्षण प्रयासों का मूल्यांकन करता है -
- भूमि प्रबंधन
- जैवविविधता के लिये खतरे
- क्षमता और शासन
- भविष्य के रुझान
- यह एक डेटा-संचालित विश्लेषण है जो संरक्षण और विकास के बीच संतुलन बनाने में प्रत्येक देश की प्रगति का आकलन करता है।
- इसका उद्देश्य सरकारों, शोधकर्त्ताओं और संगठनों को चिंताओं की पहचान करने और दीर्घकालिक जैवविविधता संरक्षण के लिये संरक्षण नीतियों को बढ़ाने में मदद करना है।