वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना ने रिकॉर्ड तोड़े

पर्यावरण और पारिस्थितिकी


 21-Oct-2024

चर्चा में क्यों? 

चौथी वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना (GCBE4) अब तक की सबसे व्यापक और सबसे तीव्र घटना बन गई है, जिसने 74 देशों की प्रवाल भित्ति को प्रभावित किया है। जनवरी 2023 में शुरू हुई वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना ने पिछले रिकॉर्ड को पार कर लिया है। राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (National Oceanic and Atmospheric Administration- NOAA) के अनुसार, यह अटलांटिक में लगभग 100% प्रवाल भित्ति क्षेत्रों और वैश्विक प्रवाल भित्ति के 77% क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है। एल नीनो और ला नीना दोनों चरणों के दौरान उच्च तापमान इस व्यापक प्रभाव के लिये ज़िम्मेदार है। 

प्रवाल भित्तियाँ 

  • परिभाषा: प्रवाल भित्तियाँ जल के नीचे की संरचनाएँ हैं जो जीवित प्रवालों द्वारा उत्पादित कैल्शियम कार्बोनेट से बनी होती हैं, जो एंथोजोआ वर्ग से संबंधित समुद्री अकशेरुकी हैं। 
  • प्रवाल भित्तियों के प्रकार: 
    • तटीय प्रवाल भित्ति: तट के सबसे निकट, समुद्र तल पर मुख्य भूमि के निकट के किनारों पर पाई जाती हैं।  
    • अवरोधक प्रवाल भित्ति: तट से दूर स्थित, लैगून द्वारा पृथक। 
    • एटॉल: किसी लैगून के चारों ओर प्रवाल भित्तियों की एक पट्टी से निर्मित होता है। ये भित्तियाँ उथले लैगूनों के किनारों पर अवस्थित होती हैं।
  • यह मछली, अकशेरुकी और समुद्री स्तनधारियों सहित सभी समुद्री प्रजातियों के लगभग 25% को पोषण प्रदान करता है। 
  • वे विभिन्न समुद्री जीवों के लिये आवास और प्रजनन स्थल प्रदान करते हैं। 
  • वे प्राकृतिक अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं, तटरेखाओं को कटाव और तूफानी लहरों से बचाते हैं, जिससे प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव कम हो जाता है।

चौथी वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना (Fourth Global Coral Bleaching Event- GCBE4) 

  • यह एक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय संकट है जो विश्व भर में प्रवाल भित्तियों को प्रभावित कर रहा है, तथा मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसा हो रहा है। 
  • इस घटना की विशेषता व्यापक प्रवाल विरंजन है, जो तब होता है जब प्रवाल सहजीवी शैवाल (जूज़ैंथेला) को बाहर निकाल देते हैं जो उन्हें पोषक तत्त्व और रंग प्रदान करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर पारिस्थितिक परिणाम उत्पन्न होते हैं। 
  • इसकी शुरुआत वर्ष 2020 में हुई थी और इसने वैश्विक स्तर पर प्रवाल भित्तियों को प्रभावित करना जारी रखा है, जो 20वीं सदी के अंत में निगरानी शुरू होने के बाद से चौथी ऐसी घटना है। 
  • ग्रेट बैरियर रीफ, कैरिबियन तथा हिंद और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में प्रवाल भित्तियों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। 
  • कारण 
    • समुद्र का बढ़ता तापमान: समुद्र की सतह के तापमान में लंबे समय तक बुज़ुर्गि, जो प्रायः वैश्विक तापमान बुज़ुर्गि से जुड़ी होती है, प्रवाल विरंजन की घटनाओं का मुख्य कारण है। 
    • महासागरीय अम्लीकरण: CO2 के स्तर में बुज़ुर्गि से महासागरों में pH कम हो जाता है, जिससे प्रवाल के स्वास्थ्य और उनके कैल्सीकरण की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 
    • प्रदूषण: पोषक तत्त्वों का बहाव, तलछट और प्रदूषक जल की गुणवत्ता में गिरावट लाते हैं, जिससे प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव बढ़ता है। 
  • वर्तमान घटना ने 74 देशों और क्षेत्रों की भित्तियों को प्रभावित किया है, हाल ही में पलाऊ, गुआम एवं इज़राइल में इसकी पुष्टि हुई है।