गंगा नदी डॉल्फिन

पर्यावरण और पारिस्थितिकी


 19-Dec-2024

चर्चा में क्यों?  

  • भारत ने असम में पहली बार गंगा नदी डॉल्फिन को सफलतापूर्वक टैग किया है, जो वन्यजीव संरक्षण में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।  
  • इस पहल का नेतृत्व पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), असम वन विभाग, आरण्यक के सहयोग से किया और राष्ट्रीय कैम्पा (CAMPA) प्राधिकरण द्वारा वित्त पोषित किया गया।  

गंगा नदी डॉल्फिन:  

  • वैज्ञानिक नाम: प्लैटानिस्टा गैंगेटिका, जिसे "गंगा का बाघ (Tiger of the Ganges)" कहा जाता है।  
  • खोज: आधिकारिक तौर पर 1801 में खोज की गई।  

पर्यावास

  • यह भारत, नेपाल और बांग्लादेश की प्रमुख नदी प्रणालियों में पाया जाता है, जिनमें गंगा, ब्रह्मपुत्र और यमुना नदियाँ शामिल हैं।  

विशेषताएँ  

  • यह केवल स्वच्छ जल में रहता है तथा मूलतः दृष्टिहीन होता है।  
  • शिकार को पकड़ने और उसका पता लगाने के लिये अल्ट्रासोनिक ध्वनि का उपयोग किया जाता है।  
  • आमतौर पर अकेले या छोटे समूहों में पाए जाते हैं  
  • माताएँ अपने बच्चे के साथ यात्रा करती हैं।  
  • मादाएँ नर से बड़ी होती हैं और हर 2-3 साल में बच्चे को जन्म देती हैं।  
  • इसकी सांस लेने की प्रक्रिया के लिये इसे हर 30 से 120 सेकंड में सतह पर आना आवश्यक होता है, इसलिये इसे "सुसु (Susu)" नाम दिया गया है।

महत्त्व  

  • यह नदी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का एक विश्वसनीय संकेतक है।  
  • वर्ष 2009 में इसे भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव और असम का राज्य जलीय जीव घोषित किया गया।  

प्रमुख खतरे  

  • मछली पकड़ने के उपकरण में उलझने से अनजाने में हुई हत्या।  
  • डॉल्फिन तेल के लिये अवैध शिकार, जिसका उपयोग मछली को आकर्षित करने और औषधीय प्रयोजनों के लिये किया जाता है।  
  • विकास परियोजनाओं से आवास विनाश, प्रदूषण तथा जहाज़ यातायात से शोर।  

संरक्षण स्थिति  

  • IUCN: लुप्तप्राय।  
  • भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध।  
  • CITES: परिशिष्ट I  
  • CMS: परिशिष्ट I

संबंधित सरकारी पहल  

  • प्रोजेक्ट डॉल्फिन  
  • बिहार में विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य  
  • राष्ट्रीय गंगा नदी डॉल्फिन दिवस 5 अक्तूबर को मनाया जाता है।