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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चार अंतरिक्ष मिशनों के लिये धनराशि को स्वीकृति

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 19-Sep-2024

चर्चा में क्यों

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चार प्रमुख अंतरिक्ष परियोजनाओं को स्वीकृति दी, जिनमें शुक्र ग्रह पर मिशन, चंद्र मिशन, आगामी गगनयान मिशन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की योजना शामिल है, जो सभी अंतरिक्ष एजेंसी के विज़न 2047 रोडमैप के अनुरूप हैं

परियोजनाओं के संदर्भ में

  • शुक्र मिशन
    • नियोजित प्रक्षेपण: मार्च 2028, जब पृथ्वी और शुक्र सबसे निकट होंगे
    • यह मंगल ऑर्बिटर मिशन (वर्ष 2014) के बाद भारत का दूसरा ग्रहीय मिशन है
    • परियोजना लागत: ₹1,236 करोड़।
    • शुक्र की सतह, धूल, बादल, ज्वालामुखी, वायुमंडल, आयनमंडल और सूर्य के साथ अंतःक्रिया का अध्ययन करने के लिय ऑर्बिटर भेजा जाएगा
  • चंद्रयान-4 
    • परियोजना लागत: 36 महीनों में ₹2,014 करोड़
    • इसमें दो अलग-अलग उड़ानों में पाँच मॉड्यूल प्रक्षेपित किये गए
    • मिशन के लक्ष्य: मून लैंडिंग, सैंपल एकत्र कर उन्हें वैक्यूम कंटेनरों में संग्रहीत करना तथा उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना
    • इसके तहत कक्षा में अंतरिक्ष यान को डॉक करना और अनडॉक करना शामिल है, जो भारत द्वारा पहली बार की जा रही है
    • भारत का लक्ष्य वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन भेजना है
  • गगनयान मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Gaganyaan Mission & Bharatiya Antariksh Station- BAS
    • BAS परियोजना लागत: ₹20,193 करोड़, पूरा होने की समय सीमा दिसंबर 2029
    • इसमें आठ मिशन शामिल होंगे, जिनमें से चार अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिये होंगे
    • भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिये दो मानवरहित और एक मानवयुक्त गगनयान मिशन को पहले ही स्वीकृति दे दी गई है
  • नेक्स्ट जेनरेशन के प्रक्षेपण 
    • परियोजना लागत: 96 महीनों में ₹8,239 करोड़ (84 महीनों में पहला प्रक्षेपण
    • इससे ISRO की पृथ्वी की निचली कक्षा में प्रक्षेपण क्षमता 10 टन से बढ़कर 30 टन हो जाएगी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)

  • स्थापना: 15 अगस्त
  • मुख्यालय: 
  • अध्यक्ष: एस. सोमनाथ
  • यह भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है
  • यह अंतरिक्ष विभाग (DoS) के अधीन कार्य करता है, जिसकी निगरानी सीधे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है
  • उद्देश्य: वैज्ञानिक अनुसंधान और ग्रह अन्वेषण करते हुए राष्ट्रीय विकास के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करना
  • इसका लक्ष्य वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर मानव को भेजना और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना है
  • मुख्य  सफलताएँ
    • आर्यभट्ट (वर्ष 1975): सोवियत संघ द्वारा प्रक्षेपित भारत का पहला उपग्रह
    • SLV-3 (वर्ष 1980): स्वदेशी प्रक्षेपण यान का उपयोग करके उपग्रह का पहला सफल प्रक्षेपण
    • चंद्रयान-1 (वर्ष 2008): भारत का पहला चंद्र मिशन, जिसने चंद्रमा पर जल की उपस्थिति की पुष्टि की
    • मंगलयान (वर्ष 2014): मंगल ऑर्बिटर मिशन, जिससे भारत मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला पहला एशियाई देश बन गया और अपने पहले प्रयास में ऐसा करने वाला विश्व का चौथा अंतरिक्ष एजेंसी बन गया
    • चंद्रयान-2 (वर्ष 2019): अनुवर्ती चंद्र मिशन, जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नरम लैंडिंग करना था
    • चंद्रयान-3 (वर्ष 2023): भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के समीप सफलतापूर्वक एक अंतरिक्ष यान की लैंडिंग की, जिससे वह चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया
    • आदित्य-L1 : सूर्य का अध्ययन करने के लिये एक नियोजित मिशन
  • यह अपने एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन के माध्यम से विदेशी सेवार्थियों के लिये उपग्रहों के प्रक्षेपण के हेतु जाना जाता है और वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण के लिये लागत प्रभावी प्रदाता के रूप में उभरा है
  • उपग्रह प्रक्षेपण 
    • PSLV (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान): विश्वसनीयता के लिये जाना जाता है, इसका उपयोग ध्रुवीय कक्षाओं में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिये किया जाता है
    • GSLV (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल): भारी पेलोड को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर कक्षाओं में प्रक्षेपित करने में सक्षम
    • GSLV Mk III: ISRO का सबसे शक्तिशाली लांचर, जिसका उपयोग गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन में किया गया।