गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन
भारतीय अर्थव्यवस्था
19-Sep-2024
चर्चा में क्यों
केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा तंत्र की सिफारिश करने के लिये एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। यह उन्हें राष्ट्रीय पोर्टल पर पंजीकृत करने और स्वास्थ्य सेवा, बीमा तथा सेवानिवृत्ति योजनाओं जैसे लाभ प्रदान करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
गिग इकॉनमी:
- यह एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है जो पूर्णकालिक स्थायी कर्मचारियों के बजाय स्वतंत्र संविदाकार और फ्रीलांसरों द्वारा भरे गए अस्थायी और अंशकालिक पदों पर बहुत हद तक निर्भर करती है।
- इसे साझा अर्थव्यवस्था या पहुँच अर्थव्यवस्था के नाम से भी जाना जाता है।
- गिग श्रमिकों के पास अनुकूलता और स्वतंत्रता तो होती है, लेकिन नौकरी की सुरक्षा बहुत कम या नहीं होती।
- गिग अर्थव्यवस्था में, नियोक्ता तब पैसा बचाते हैं जब उन्हें स्वास्थ्य कवरेज और सवेतन अवकाश जैसे लाभ प्रदान करने की आवश्यकता नहीं होती।
- इंडिया स्टाफिंग फेडरेशन की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लेक्सी स्टाफिंग के मामले में भारत, अमेरिका, चीन, ब्राज़ील और जापान के बाद विश्व स्तर पर पाँचववाँ सबसे बड़ा देश है।
- नीति आयोग की "इंडियाज़ बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकॉनमी" के अनुसार, वर्ष 2029-30 तक गिग कार्यबल 2.35 करोड़ (23.5 मिलियन) श्रमिकों तक बढ़ने की उम्मीद है।
गिग इकॉनमी के लाभ :
- नियोक्ताओं के
- दूरस्थ कार्य विकल्पों के कारण आवेदकों की एक विस्तृत शृंखला।
- कार्य और आवश्यकता के आधार पर नियुक्ति और बर्खास्तगी में आसानी।
- श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा या सवेतन अवकाश जैसे महंगे लाभ प्रदान करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- कर्मचारियों के लिये
- व्यक्तियों को अपना स्वयं का कार्यक्रम निर्धारित करने के लिये अधिक अनुकूलता।
- नियमित पूर्णकालिक नौकरी करने वालों को विभिन्न अतिरिक्त अवसर प्रदान करता है।
- दूरस्थ पदों पर कार्य करने से गिग कर्मियों को इंटरनेट कनेक्शन वाले किसी भी स्थान पर रहने की सुविधा मिलती है।