विदेशी (संरक्षित क्षेत्र) आदेश, 1958

भारतीय राजनीति


 24-Dec-2024

चर्चा में क्यों?  

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पड़ोसी देशों से विदेशी घुसपैठ के चलते बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के मद्देनज़र मणिपुर, मिज़ोरम और नगालैंड में संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था (PAR) को पुनः लागू करने का निर्णय लिया है।

संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था (PAR) की मुख्य विशेषताएँ  

  • प्रतिबंधित पहुँच  
    • विदेशियों को पूर्व सरकारी अनुमति के बिना PAR के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में जाने की अनुमति नहीं है।  
    • उन्हें संरक्षित क्षेत्र परमिट (PAP) प्राप्त करना होगा, जिससे अधिकारी संवेदनशील क्षेत्रों में उनकी गतिविधियों पर नज़र रख सकें।  
  • संवेदनशील क्षेत्र  
    • PAR अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के निकटवर्ती क्षेत्रों या जातीय तनाव, उग्रवाद या राजनीतिक अस्थिरता से प्रभावित क्षेत्रों को कवर करता है।  
  • विश्राम और पुनःस्थापन  
    • पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये अतीत में अस्थायी छूट दी गई है, जैसे कि वर्ष 2010 में मणिपुर, मिज़ोरम और नगालैंड में।  
    • हालाँकि, उभरती सुरक्षा चिंताओं के कारण इन्हें वापस ले लिया गया, जिसके परिणामस्वरूप PAR को पुनः लागू कर दिया गया।  

विदेशी (संरक्षित क्षेत्र) आदेश, 1958  

  • कानूनी ढाँचा  
    • विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत जारी यह आदेश संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशियों की आवाजाही को नियंत्रित करता है।  
  • आंतरिक रेखा सीमा  
    • यह जम्मू-कश्मीर से मिज़ोरम तक की सीमा निर्धारित करता है। विदेशियों को इस रेखा से आगे यात्रा करने के लिये विशेष परमिट प्राप्त करना होगा।  
  • संरक्षित क्षेत्र  
    • आंतरिक रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बीच के क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र के रूप में नामित किया गया है।  
    • उदाहरणों में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिज़ोरम, नगालैंड और सिक्किम (आंशिक रूप से संरक्षित और प्रतिबंधित क्षेत्र) शामिल हैं।  
    • हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और उत्तराखंड के कुछ हिस्से भी संरक्षित क्षेत्र हैं।   
  • प्रतिबंधित क्षेत्र   
    • इनर लाइन और स्वदेशी जनजातीय क्षेत्रों के बीच के क्षेत्रों को प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (RAP) की आवश्यकता होती है।  
    • उदाहरणों में संपूर्ण अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और सिक्किम का कुछ भाग शामिल हैं।