भारतीय वित्त आयोग: राजकोषीय संघवाद का एक स्तंभ

भारतीय राजनीति


 07-Nov-2024
  • यह भारत के राजकोषीय संघवाद के लिये महत्त्वपूर्ण संवैधानिक निकाय है।  
  • इसका उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के उचित वितरण की सिफारिश करके समान विकास सुनिश्चित करना है।  
  • भारत के राष्ट्रपति द्वारा गठित, इसकी स्थापना प्रत्येक पाँच वर्ष में या आवश्यकता पड़ने पर पहले भी की जाती है।  
  • संवैधानिक प्रावधान  
    • अनुच्छेद 280: वित्त आयोग की स्थापना और उसके कार्य।  
    • अनुच्छेद 281: वित्त आयोग की सिफारिशों की रूपरेखा।  
    • वित्त आयोग भारत के संविधान के तहत काम करता है, जो इसे एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय बनाता है।  
    • संघटन  
  • नियुक्ति: अध्यक्ष और चार सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।  
  • सदस्यों की योग्यताएँ  
    • वित्त आयोग अधिनियम 1951 में निम्नलिखित योग्यताएँ निर्धारित की गई हैं:  
    • अध्यक्ष: सार्वजनिक मामलों में अनुभव होना चाहिये।  
    • चार सदस्य :  
    • उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या नियुक्ति के योग्य कोई व्यक्ति।  
    • सरकारी वित्त और लेखा में विशेषज्ञता वाला व्यक्ति।  
    • वित्तीय प्रशासन में अनुभवी व्यक्ति।  
    • अर्थशास्त्र का विशिष्ट ज्ञान रखने वाला व्यक्ति।  
  • अध्यक्ष और सदस्य राष्ट्रपति द्वारा निर्दिष्ट अवधि तक कार्य करते हैं और पुनर्नियुक्ति के पात्र होते हैं।  
  • वित्त आयोग के कार्य  
    • कर वितरण: यह विधेयक केंद्र और राज्यों के बीच तथा राज्यों के बीच कर आय के वितरण की सिफारिश करता है।  
    • सहायता अनुदान: केंद्र से राज्य सरकारों को अनुदान के लिये सिद्धांतों का सुझाव देता है।  
    • स्थानीय निकायों के लिये संसाधन संवर्द्धन : राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों को पूरक बनाने के तरीकों का प्रस्ताव करता है।  
  • अन्य वित्तीय मामले: राष्ट्रपति द्वारा संदर्भित अतिरिक्त वित्तीय विषयों पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।  
  • अनुशंसाओं के मुख्य पहलू  
    • ऊर्ध्वाधर हस्तांतरण: राजकोषीय स्वायत्तता बढ़ाने के लिये केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी निर्धारित करता है।  
    • क्षैतिज वितरण: संतुलित विकास को समर्थन देने के लिये एक फार्मूले के आधार पर राज्यों के बीच समान आवंटन।  
    • सहायता अनुदान: सहायता या सुधार की आवश्यकता वाले विशिष्ट राज्यों या क्षेत्रों को लक्षित अनुदान, जैसे न्याय वितरण प्रणाली या सांख्यिकीय अवसंरचना सुधार।  

वित्त आयोग की रिपोर्टें  

  • वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है।  
  • यह रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत की जाती है, तथा इसके साथ की गई कार्यवाही का विवरण देने वाला एक व्याख्यात्मक ज्ञापन भी संलग्न होता है।