आर्थिक सर्वेक्षण 2024-2025
भारतीय अर्थव्यवस्था
03-Feb-2025
चर्चा में क्यों?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया, जिसमें केंद्रीय बजट 2025 से पहले प्रमुख सुधारों और विकास रणनीतियों की रूपरेखा दी गई।
आर्थिक सर्वेक्षण क्या है?
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आर्थिक सर्वेक्षण 2024-2025: मुख्य बातें
- वैश्विक अर्थव्यवस्था: 2024 में वैश्विक विकास दर 3.2% रहेगी। मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन भू-राजनीतिक जोखिम (रूस-यूक्रेन संघर्ष) व्यापार और लागत को प्रभावित कर रहे हैं।
- भारत की अर्थव्यवस्था: वित्त वर्ष 26 में अनुमानित GDP वृद्धि 6.3-6.8%। वित्त वर्ष 25 में कृषि में 3.8%, उद्योग में 6.2% और सेवाओं में 7.2% की वृद्धि हुई।
- मौद्रिक एवं वित्तीय घटनाक्रम: गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA) 12 वर्ष के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गई हैं। बढ़ती तरलता और प्रबल पूंजी बाज़ार गतिशीलता के साथ रेपो दर 6.5% पर है।
- बाह्य क्षेत्र: निर्यात में 6% की वृद्धि हुई, जबकि आयात में 6.9% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे व्यापार घाटा बढ़ गया। विदेशी मुद्रा भंडार 640.3 अरब अमेरिकी डॉलर है।
- मुद्रास्फीति: वित्त वर्ष 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.9% तक कम हो गई, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति 8.4% तक बढ़ गई।
- मध्यम अवधि का दृष्टिकोण: वित्त वर्ष 28 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 6.5% प्रतिवर्ष रहने का अनुमान है।
- प्रमुख विकास: संरचना: 2031 किलोमीटर रेलवे विस्तार, 17 नई वंदे भारत ट्रेनें, 6215 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण किया गया। नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता का 47% हिस्सा है।
- सामाजिक क्षेत्र: शिक्षा पर व्यय बढ़ा, नामांकन दर में सुधार हुआ और स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई। स्वास्थ्य सेवा पर व्यय बढ़कर 6.1 लाख करोड़ रुपए हो गया।
- रोज़गार और कौशल विकास: बेरोज़गारी दर घटकर 3.2% रह गई, जबकि महिलाओं की भागीदारी बढ़कर 41.7% हो गई। AI आधारित कौशल विकास और रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- चुनौतियाँ: भू-राजनीतिक जोखिम, मुद्रास्फीति और व्यापार अनिश्चितताएँ। उच्च रसद (लॉजिस्टिक्स) लागत और धीमी शहरीकरण योजना विकास में बाधा डालती है।