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आर्थिक सर्वेक्षण 2024-2025

भारतीय अर्थव्यवस्था


 03-Feb-2025

चर्चा में क्यों?  

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया, जिसमें केंद्रीय बजट 2025 से पहले प्रमुख सुधारों और विकास रणनीतियों की रूपरेखा दी गई।  

आर्थिक सर्वेक्षण क्या है?  

  • भारत की आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिये केंद्रीय बजट से पहले प्रस्तुत की जाने वाली वार्षिक रिपोर्ट।  
  • मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में वित्त मंत्रालय के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार किया गया।  
  • केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत किया गया।  
  • आर्थिक प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है, क्षेत्रीय प्रगति पर प्रकाश डालता है, चुनौतियों की पहचान करता है तथा भविष्य का दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।  
  • इसे 1950-51 में पहली बार पेश किया गया और 1964 में यह एक स्वतंत्र दस्तावेज़ के रूप में विकसित हुआ, जिसे बजट के एक दिन पूर्व जारी किया गया।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-2025: मुख्य बातें  

  • वैश्विक अर्थव्यवस्था: 2024 में वैश्विक विकास दर 3.2% रहेगी। मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन भू-राजनीतिक जोखिम (रूस-यूक्रेन संघर्ष) व्यापार और लागत को प्रभावित कर रहे हैं।  
  • भारत की अर्थव्यवस्था: वित्त वर्ष 26 में अनुमानित GDP वृद्धि 6.3-6.8%। वित्त वर्ष 25 में कृषि में 3.8%, उद्योग में 6.2% और सेवाओं में 7.2% की वृद्धि हुई।  
  • मौद्रिक एवं वित्तीय घटनाक्रम: गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA) 12 वर्ष के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गई हैं। बढ़ती तरलता और प्रबल पूंजी बाज़ार गतिशीलता के साथ रेपो दर 6.5% पर है।  
  • बाह्य क्षेत्र: निर्यात में 6% की वृद्धि हुई, जबकि आयात में 6.9% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे व्यापार घाटा बढ़ गया। विदेशी मुद्रा भंडार 640.3 अरब अमेरिकी डॉलर है।
  • मुद्रास्फीति: वित्त वर्ष 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.9% तक कम हो गई, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति 8.4% तक बढ़ गई।
  • मध्यम अवधि का दृष्टिकोण: वित्त वर्ष 28 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 6.5% प्रतिवर्ष रहने का अनुमान है।  
  • प्रमुख विकास: संरचना: 2031 किलोमीटर रेलवे विस्तार, 17 नई वंदे भारत ट्रेनें, 6215 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण किया गया। नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता का 47% हिस्सा है।
  • सामाजिक क्षेत्र: शिक्षा पर व्यय बढ़ा, नामांकन दर में सुधार हुआ और स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई। स्वास्थ्य सेवा पर व्यय बढ़कर 6.1 लाख करोड़ रुपए हो गया।  
  • रोज़गार और कौशल विकास: बेरोज़गारी दर घटकर 3.2% रह गई, जबकि महिलाओं की भागीदारी बढ़कर 41.7% हो गई। AI आधारित कौशल विकास और रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया गया।  
  • चुनौतियाँ: भू-राजनीतिक जोखिम, मुद्रास्फीति और व्यापार अनिश्चितताएँ। उच्च रसद (लॉजिस्टिक्स) लागत और धीमी शहरीकरण योजना विकास में बाधा डालती है।