डिजिटल इंडिया: भूमि अभिलेखों का एक नया युग

भारतीय अर्थव्यवस्था


 28-Oct-2024

चर्चा में क्यों? 

भारत, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, महत्त्वपूर्ण डिजिटल परिवर्तन से गुज़र रहा है। ऐसी ही एक बड़ी पहल है भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण है। इस कदम का उद्देश्य भूमि प्रबंधन को आधुनिक बनाना, पारदर्शिता बढ़ाना और लाखों ग्रामीण नागरिकों को सशक्त बनाना है। 

प्रमुख बिंदु: 

  • वर्ष 2016 से अब तक ग्रामीण भारत में लगभग 95% भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण हो चुका है। 
  • डिजिटलीकरण के लाभ:  
    • भूमि अभिलेखों तक ऑनलाइन आसान पहुँच, भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी में कमी। 
    • भूमि लेनदेन और विवाद समाधान के लिये सुव्यवस्थित प्रक्रियाएँ। 
    • भूमि अधिकारों को सुरक्षित करके किसानों और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना। 
    • ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश और विकास को सुविधाजनक बनाना। 
  • प्रमुख पहल डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP):  
    • विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (Unique Land Parcel Identification Number- ULPIN) 
    • राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली (National Generic Document Registration System- NGDRS) 
    • ई-न्यायालय एकीकरण 
    • भूमि अभिलेखों का लिप्यंतरण 
    • भूमि सम्मान 

भूमि सुधार 

  • स्वतंत्रता के बाद शुरू किये गए भारत के भूमि सुधारों का उद्देश्य ऐतिहासिक भूमि स्वामित्व असमानताओं को दूर करना और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देना था। 
  • प्रमुख सुधारों में शामिल हैं: 
    • बिचौलियों (ज़मींदारों) का उन्मूलन: ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करना, जहाँ ज़मींदार काश्तकारों से लगान वसूलते थे, और भूमि अधिकारों को सीधे किसानों को हस्तांतरित करना। 
    • भूमि सीमा निर्धारण: भूमि संकेन्द्रण को रोकने और अधिशेष भूमि को भूमिहीन किसानों में पुनर्वितरित करने के लिये भूमि सीमा निर्धारण अधिनियमों को लागू करना। 
    • भूमि-जोतों का समेकन: कृषि उत्पादकता में सुधार के लिये खंडित भूमि-जोतों को बड़ी, अधिक कुशल इकाइयों में संयोजित करना। 
    • काश्तकारों के अधिकारों की सुरक्षा: काश्तकारों के लिये भूमि स्वामित्व, उचित लगान और भूमि क्रय करने के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये काश्तकारी सुधारों को लागू करना। 
    • सहकारी कृषि को बढ़ावा देना: कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय में सुधार करने के लिये सहकारी कृषि को प्रोत्साहित करना। 
    • यद्यपि इन सुधारों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, फिर भी इनका भारतीय कृषि और ग्रामीण समाज पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है तथा सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास में योगदान मिला है। 
    • भूमि पुनर्वितरण: भूमिहीन किसानों को अधिशेष भूमि वितरित करना।