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पर्यावरण और पारिस्थितिकी

जून के बाद पहली बार दिल्ली में खराब AQI देखा गया

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 26-Sep-2024

चर्चा में क्यों? 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 235 पर पहुँच गया, जो 99 दिनों में सबसे खराब स्तर है। यह नौ वर्षों में सितंबर का सबसे उच्च AQI है, जो वर्ष 2015 के बाद पहली बार 235 से अधिक है। प्रदूषण में मुख्य योगदान परिवहन क्षेत्र का है, जिसमें पराली जलाना और शुष्क हवाएँ स्थिति को और खराब कर रही हैं। 

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 

  • यह एक मानकीकृत प्रणाली है जिसका उपयोग किसी विशिष्ट क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता को मापने और संप्रेषित करने के लिये किया जाता है। 
  • प्रदूषण 
    • कणिकीय पदार्थ (PM10 और PM2.5): सूक्ष्म कण जो श्वसन प्रणाली में प्रवेश कर सकते हैं। 
    • भू-स्तरीय ओजोन (O) : एक हानिकारक गैस जो श्वास और समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। 
    • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2 ) : एक गैस जो फेफड़ों को परेशान कर सकती है और श्वसन संक्रमण के प्रति प्रतिरोध को कम कर सकती है। 
    • सल्फर डाइऑक्साइड (SO) : एक गैस जो श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर सकती है और औद्योगिक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न होती है। 
    • कार्बन मोनोऑक्साइड (CO): एक रंगहीन, गंधहीन गैस जो अधिक मात्रा में साँस लेने पर हानिकारक हो सकती है। 
  • AQI स्केल 
    • 0-50: अच्छा 
    • 51-100: मध्यम 
    • 101-150: संवेदनशील समूहों के लिये अस्वास्थ्यकर 
    • 151-200: अस्वस्थ 
    • 201-300: बहुत अस्वस्थ 
    • 301-500: परिसंकटमय 
  • पराली जलाना  
    • पराली (Stubble)जलाना, सितंबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर तक गेहूँ की बुवाई के लिये खेत से धान की फसल के अवशेषों को हटाने की एक विधि है। 
    • यह धान, गेहूँ आदि अनाज की कटाई के बाद बचे पुआल (पराली) को आग लगाने की प्रक्रिया है। 
    • कृषि अवशेषों को जलाने की प्रक्रिया उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है, जिससे वायु की गुणवत्ता खराब हो रही है। 
    • इसे दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण माना जाता है। 
    • प्रदूषण: यह वायुमंडल में विषैले प्रदूषकों का उत्सर्जन करता है, जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), मीथेन (CH4), कैंसरकारी पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) जैसी हानिकारक गैसें शामिल हैं।   
    • मृदा की उर्वरता: भूसी को ज़मीन पर जलाने से मृदा कम उपजाऊ हो जाती है और इसके पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। इससे उष्णता उत्पन्न होती है जो मृदा में प्रवेश करती है, जिससे कटाव बढ़ता है, उपयोगी सूक्ष्मजीवों और नमी की हानि होती है।  

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) 

  • स्थापना: 22 सितंबर, 1974 
  • अध्यक्ष: तन्मय कुमार 
  • यह भारत में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत स्थापित एक वैधानिक संगठन है। 
  • इसकी प्राथमिक भूमिका भारत में पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण और सुधार को बढ़ावा देना और सुनिश्चित करना है। 
  • यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अधीन कार्य करता है। 
  • प्रमुख कार्यक्रम 
    • राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (NAMP) 
    • राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम 
    • खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन 
    • एकीकृत पर्यावरण प्रबंधन