कॉर्प्स फ्लावर
पर्यावरण और पारिस्थितिकी
29-Jan-2025
चर्चा में क्यों?
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में एक दुर्लभ शव फूल (कॉर्प्स फ्लावर) एक दशक से अधिक समय के बाद खिला, जबकि इसी समय न्यूयॉर्क, अमेरिका में भी एक समान फूल खिला।
कॉर्प्स फ्लावर (एमोर्फोफैलस टायटेनम)– एक दुर्लभ वनस्पति घटना
- वैज्ञानिक वर्गीकरण: एमोर्फोफैलस जीनस से संबंधित है, जिसमें एमोर्फोफैलस टायटेनम और एमोर्फोफैलस गिगास जैसी उल्लेखनीय प्रजातियाँ शामिल हैं। यह विश्व के सबसे बड़े और दुर्लभ फूल वाले पौधों में से एक है।
- खिलने का पैटर्न: यह कुछ वर्षों में एक बार खिलता है तथा प्रत्येक खिलना केवल एक दिन तक रहता है, जिससे यह एक दुर्लभ तथा अत्यधिक प्रत्याशित घटना बन जाती है।
- हाल ही में खिले फूल: एक दशक से भी अधिक समय के बाद, ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित रॉयल बोटेनिक गार्डन और अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित ब्रुकलिन बोटेनिक गार्डन में एक साथ खिले फूल, हज़ारों पर्यटकों को आकर्षित करते हुए देखे गए।
- दुर्गंध और परागण
- डाइमिथाइल ट्राइसल्फाइड, आइसोवालेरिक एसिड और इंडोल जैसे यौगिकों की उपस्थिति के कारण, यह सड़े हुए मांस जैसी गंध उत्सर्जित करता है, जो परागण के लिये सड़े हुए कीटों (भृंग अर्थात् बीटल, मक्खियों) को आकर्षित करता है।
- सबसे तीव्र गंध शाम और रात के समय निकलती है, जो मक्खियों और भृंगों जैसे परागणकों के सक्रिय होने के समय से मेल खाती है।
- कॉर्प्स फ्लावर की संरचना: इसमें बड़ी, नालीदार लाल पंखुड़ियाँ होती हैं तथा एक केंद्रीय डंठल (स्पैडिक्स) होता है जो 3 मीटर से अधिक बढ़ता है, जिससे यह एक आकर्षक और विशाल रूप धारण कर लेता है।
- वैज्ञानिक महत्त्व: परागण के लिये पौधों के अनुकूलन का एक उल्लेखनीय उदाहरण, जो दुर्लभ पौधों की प्रजातियों की अद्वितीय प्रजनन रणनीतियों को प्रदर्शित करता है।