उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
भारतीय अर्थव्यवस्था
15-Oct-2024
चर्चा में क्यों?
सितंबर में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति नौ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई, जो खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण थी। वार्षिक मुद्रास्फीति दर अगस्त में 3.65% से बढ़कर 5.49% हो गई, जो दिसंबर 2023 के बाद का उच्चतम स्तर है, जब यह 5.69% थी।
मुद्रास्फीति के बारे में
- परिभाषा: मुद्रास्फीति से तात्पर्य उस दर से है जिस पर समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ती हैं, जिससे मुद्रा की क्रय शक्ति कम हो जाती है।
- मुद्रास्फीति के कारण
- मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति: मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति तब होती है जब वस्तुओं और सेवाओं की मांग उनकी आपूर्ति से अधिक हो जाती है।
- लागत-प्रेरित मुद्रास्फीति: लागत-प्रेरित मुद्रास्फीति वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन लागत में वृद्धि से प्रेरित होती है।
- मूल्य शक्ति मुद्रास्फीति: जब वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में लंबे समय तक वृद्धि नहीं की गई हो।
भारत में मुद्रास्फीति मापने के सूचकांक
- थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI)
- यह थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है (उत्पादकों और व्यवसायों के दृष्टिकोण से)।
- इसमें शामिल नहीं हैं: सेवाएँ
- शामिल की गई वस्तुएँ
- प्राथमिक वस्तुएँ (117)
- ईंधन और विद्युत् (16)
- विनिर्मित उत्पाद (564)
- आधार वर्ष: वर्ष 2011-12
- द्वारा प्रकाशित: आर्थिक सलाहकार कार्यालय, DPIIT, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI)
- यह मुद्रास्फीति का एक प्रमुख संकेतक है जो समय के साथ उपभोक्ताओं द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की एक टोकरी (Basket) के लिये भुगतान की गई औसत खुदरा कीमतों में परिवर्तन को मापता है।
- आधार वर्ष: वर्ष 2012
- प्रकाशितकर्ता: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office- NSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI)
- मौद्रिक नीति: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये RBI की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC) द्वारा उपयोग किया जाता है।
- भारत में, अलग-अलग CPI हैं जो विशिष्ट जनसंख्या समूहों की जरूरतों को पूरा करते हैं:
- औद्योगिक श्रमिकों के लिये CPI (CPI-IW)
- कृषि श्रमिकों के लिये CPI (CPI-AL)
- ग्रामीण श्रमिकों के लिये CPI (CPI-RL)
- संयुक्त CPI (CPI-C)