चर्चा में क्यों?
कोयला मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) को कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) श्रेणी में प्रतिष्ठित ग्रीन वर्ल्ड एनवायरनमेंट अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के माध्यम से थैलेसीमिया के उपचार के क्षेत्र में CIL के अभूतपूर्व कार्य को मान्यता देता है, जिससे 600 से अधिक रोगियों को लाभ हुआ है। पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिये CIL को ग्रीन वर्ल्ड एंबेसडर भी नामित किया गया।
थैलेसीमिया:
- यह रक्त विकारों का एक विषम समूह है जो हीमोग्लोबिन जीन को प्रभावित करता है और जिसके परिणामस्वरूप अप्रभावी एरिथ्रोपोएसिस होता है।
- हीमोग्लोबिन के उत्पादन में कमी के कारण कम उम्र में ही एनीमिया हो जाता है और हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखने के लिये बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
- थैलेसीमिया के दो मुख्य प्रकार हैं: अल्फा थैलेसीमिया और बीटा थैलेसीमिया, जिनका नाम संबंधित ग्लोबिन श्रृंखलाओं में दोष के नाम पर रखा गया है।
- अल्फा थैलेसीमिया:
- वंशानुगत जीन अल्फा ग्लोबिन प्रोटीन शृंखला बनाते हैं।
- एक दोषपूर्ण जीन (अल्फा थैलेसीमिया मिनिमा): कोई लक्षण नहीं।
- दो दोषपूर्ण जीन (अल्फा थैलेसीमिया माइनर): हल्के लक्षण, यदि कोई हो।
- तीन दोषपूर्ण जीन (हीमोग्लोबिन एच रोग): मध्यम से गंभीर लक्षण।
- चार दोषपूर्ण जीन (हीमोग्लोबिन बार्ट्स के साथ हाइड्रोप्स फीटालिस): गंभीर, अक्सर घातक; जीवित बचे लोगों को जीवन भर रक्ताधान की आवश्यकता होती है।
- बीटा थैलेसीमिया:
- वंशानुगत जीन बीटा ग्लोबिन प्रोटीन शृंखला बनाते हैं।
- एक दोषपूर्ण जीन (बीटा थैलेसीमिया माइनर): हल्के लक्षण।
- दो दोषपूर्ण जीन:
- थैलेसीमिया इंटरमीडिया: मध्यम लक्षण।
- बीटा थैलेसीमिया मेजर (कूली एनीमिया): गंभीर लक्षण, जिसके लिये लगातार उपचार की आवश्यकता होती है।
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