केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ग्रीनवाशिंग को रोकने के लिये दिशा-निर्देश जारी किये

पर्यावरण और पारिस्थितिकी


 16-Oct-2024

चर्चा में क्यों? 

सरकार ने ग्रीनवाशिंग और भ्रामक पर्यावरणीय दावों को रोकने और विनियमित करने के लिये दिशानिर्देश जारी किये हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कंपनियाँ "प्राकृतिक" या "जैविक" जैसे दावों को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ प्रमाणित करें। 

ग्रीनवाशिंग क्या है? 

  • यह शब्द व्हाइटवॉशिंग से लिया गया है, जिसका तात्पर्य एक विपणन रणनीति से है, जिसमें कंपनियाँ अपने उत्पादों या सेवाओं के पर्यावरणीय लाभों का भ्रामक रूप से दावा करती हैं या बढ़ा-चढ़ाकर बताती हैं। 
  • ऐसा अक्सर अस्पष्ट या असमर्थित शब्दों जैसे प्राकृतिक, पर्यावरण-अनुकूल या ग्रीन का प्रयोग करके किया जाता है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA):  

  • स्थापना: 20 जुलाई, 2020, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत 
  • मंत्रालय: उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय। 
  • मुख्य आयुक्त: निधि खरे। 
  • इसने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA) में परिचालन शुरू किया तथा उपभोक्ता संरक्षण गतिविधियों के लिये अपना आधार स्थापित किया। 
  • यह उपभोक्ता अध्ययन केंद्र और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के सहायक कर्मचारियों का उपयोग करता है, दोनों को वर्ष 2007 से विभाग से वित्तीय सहायता प्राप्त हो रही है। 
  • उद्देश्य और कार्य: 
    • CCPA का प्राथमिक लक्ष्य सामूहिक रूप से उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना, संरक्षित करना और लागू करना है। 
    • प्राधिकरण को यह अधिकार है कि वह 
      • उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन की जाँच कर सकता है। 
      • शिकायतें और अभियोजन आरंभ कर सकता है। 
      • असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस लेने का आदेश दे सकता है। 
      • अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों को बंद कर सकता है। 
      • भ्रामक विज्ञापनों के निर्माताओं, अनुमोदकों और प्रकाशकों पर जुर्माना लगा सकता है।