सारागढ़ी की लड़ाई

इतिहास


 12-Sep-2024

  • सामरिक महत्त्व: सारागढ़ी उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत (NWFP) में फोर्ट लॉकहार्ट और फोर्ट गुलिस्तान को जोड़ने वाली एक संचार चौकी थी, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। 
  • तिहासिक संदर्भ: इन किलों का निर्माण मूल रूप से महाराजा रणजीत सिंह द्वारा किया गया था, लेकिन क्षेत्र पर नियंत्रण के दौरान अंग्रेज़ों ने इनका नाम बदल दिया था।
  • रक्षक: 12 सितंबर, 1897 को 36वीं सिख रेजिमेंट (अब भारतीय सेना में 4वीं सिख रेजिमेंट) के 21 सैनिकों ने हवलदार ईशर सिंह के नेतृत्व में एक भारी सेना के विरुद्ध सारागढ़ी की रक्षा की।
  • आक्रमण: दुर्गम सीमा पर विद्रोह के दौरान उनका मुकाबला लगभग 8,000 अफरीदी और ओरकजई जनजातियों से था।
  • प्रतिरोध : संख्या में कम होने के बावजूद, सिखों ने हमलावरों को सात घंटे तक रोके रखा, जिससे उन्हें भारी क्षति हुई - 200 दुश्मन मारे गए और 600 घायल हो गए।
  • बलिदान: पूरी सेना मारी गई, लेकिन उनके बहादुरी भरे रुख के कारण दोनों किलों पर हमला करने में देरी हुई, जिससे उन्हें तैयारी के लिये महत्त्वपूर्ण समय मिल गया।
  • मरणोपरांत सम्मान: सभी 21 सैनिकों को उस समय वीरता के लिये सर्वोच्च पुरस्कार, इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया।
  • परिणाम: यद्यपि, युद्ध अफगानों द्वारा जीत लिया गया लेकिन दो दिनों के बाद किले पर ब्रिटिश सेना ने पुनः कब्ज़ा कर लिया।