बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
पर्यावरण और पारिस्थितिकी
12-Nov-2024
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान: समृद्ध वनस्पतियों, जीव-जंतुओं और ऐतिहासिक स्थलों वाला एक बाघ अभयारण्य।
के बारे में
- जगह :
- मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में विंध्य पर्वत शृंखला के भीतर स्थित है।
- 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया तथा 1993 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
- यह स्थान रॉयल बंगाल टाइगर्स के उच्च घनत्व के लिये प्रसिद्ध है, जो भारत और विश्व में सबसे अधिक है।
- उद्यान का नाम एक प्रमुख पहाड़ी से आया है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसे हिंदू देवता भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को लंका की निगरानी के लिये एक सुविधाजनक स्थान के रूप में उपहार में दिया था, इसलिये इसका नाम "बांधवगढ़" (संस्कृत में "भाई का किला") पड़ा।
- यह स्थान कभी रीवा के महाराजा का शिकारगाह हुआ करता था।
- स्थलाकृति : खड़ी चोटियों, घने वन और खुले घास के मैदानों का मिश्रण।
- वनस्पति : मुख्यतः शुष्क पर्णपाती वन।
- वनस्पति :
- घाटियों में साल के वन तथा निचली ढलानों पर बाँस के विस्तार हैं।
- उल्लेखनीय वृक्ष प्रजातियों में साज (टर्मिनलिया टोमेंटोसा), धौरा (एनोजीसस लैटिफोलिया), तेंदु, अर्जुन (टर्मिनलिया अर्जुन), आंवला (एम्ब्लिका ऑफिसिनैलिस), और पलास (ब्यूटिया मोनोस्पर्मा) शामिल हैं।
- जीव-जंतु:
- प्रमुख शिकार जानवरों में चीतल, सांभर, बार्किंग डियर, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, चौसिंघा, लंगूर और रीसस मकाक शामिल हैं।
- ये प्रजातियाँ विभिन्न प्रकार के शिकारियों का पोषण करती हैं, जैसे बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया और सियार।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य क्षेत्र
- ताला ज़ोन
- यह सबसे पुराना क्षेत्र है, जहाँ प्रसिद्ध बांधवगढ़ किला स्थित है।
- यहाँ भगवान विष्णु की 10 वीं शताब्दी की शेष शैय्या प्रतिमा स्थापित है जो अत्यधिक पूजनीय है तथा एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है।
- शेष शिया चरण गंगा नदी का उद्गम स्थल है, जो पार्क और कई बड़े घास के मैदानों की जीवन रेखा है।
- 10 वीं शताब्दी की बारी गुफा भी यहीं स्थित है।
- इसमें प्रसिद्ध चक्रधारा और राजभेरा घास के मैदान शामिल हैं, जो मनोरम दृश्य और असाधारण दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
- इन घास के मैदानों के आसपास बाघों पर कई प्रसिद्ध वृत्तचित्र फिल्माए गए हैं, जिनमें द हंट एंड डायनेस्टीज भी शामिल है।
- इसकी विशेषता ऊँचे-ऊँचे साल के वन, पहाड़ियाँ और घास के मैदान हैं।
- मगधी ज़ोन
- यह क्षेत्र घास के मैदान और मिश्रित घने वन आवरण से युक्त है।
- सुखी पटिहा, दभाधोल, चरकपवाहा, मुर्धवा जैसे कई प्राकृतिक और मानव निर्मित जल स्रोत मागधी में हैं।
- हाल के वर्षों में यह क्षेत्र बांधवगढ़ में बाघों को देखने के लिये सर्वोत्तम स्थान के रूप में उभरा है।
- खितौली ज़ोन
- यह एक शुष्क-पर्णपाती वन है और पिछले कुछ वर्षों में बाघों के दर्शन के लिये एक आकर्षण का केंद्र बन गया है।
- लगभग एक वर्ष पहले प्रवासी जंगली हाथियों का एक झुंड यहाँ आया और उन्होंने इस क्षेत्र को अपना निवास स्थान बना लिया।
- यह नीलगाय, चार सींग वाले मृग और चिंकारा को देखने के लिये भी अच्छा स्थान है।