भारत के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल
भारतीय राजनीति
15-Nov-2024
परिचय
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 में अटॉर्नी जनरल (ए.जी.) के पद का प्रावधान है।
- वह देश के सर्वोच्च विधि अधिकारी हैं।
ए.जी. की नियुक्ति
- राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त।
- वह ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जो सर्वोच्च न्यायालय (SC) के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य हो।
अन्य शब्दों में:
- वह भारत का नागरिक होना चाहिये।
- 5 वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या 10 वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय का अधिवक्ता या राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिये।
- राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित पारिश्रमिक प्राप्त करता है।
ए.जी. का कार्यकाल
- संविधान द्वारा पद की अवधि तथा उसके हटाने की प्रक्रिया और आधार निर्धारित नहीं किये गये हैं।
- राष्ट्रपति की इच्छा पर्यन्त पद धारण करता है तथा राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है।
- वह राष्ट्रपति को अपना त्याग-पत्र सौंपकर पद छोड़ सकता/सकती है।
- परंपरागत रूप से, वह तब त्याग-पत्र देता है जब सरकार त्याग-पत्र दे देती है या उसे बदल दिया जाता है, क्योंकि उसकी नियुक्ति सरकार की सलाह पर होती है।
अटॉर्नी जनरल के कर्त्तव्य और कार्य
- राष्ट्रपति द्वारा निर्दिष्ट कानूनी मामलों पर भारत सरकार को सलाह देना।
- राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए कानूनी चरित्र के कर्त्तव्यों का पालन करना।
- संविधान या किसी अन्य कानून द्वारा प्रदत्त कार्यों का निर्वहन करना।
- राष्ट्रपति द्वारा अटॉर्नी जनरल को सौंपे गए कर्त्तव्य:
- सर्वोच्च न्यायालय में भारत सरकार से संबंधित सभी मामलों में भारत सरकार की ओर से उपस्थित होना।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 143 के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को भेजे गए किसी भी संदर्भ में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
- भारत सरकार से संबंधित किसी भी मामले में, जब भी भारत सरकार द्वारा अपेक्षित हो, किसी भी उच्च न्यायालय में उपस्थित होना। अटॉर्नी जनरल के अधिकार।
- भारत के राज्यक्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार।
- मतदान का अधिकार के बिना निम्नलिखित की कार्यवाही में बोलने और भाग लेने का अधिकार: लोकसभा, राज्यसभा, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठकें, संसद की कोई समिति जिसका वह सदस्य नामित हो सकता है, संसद सदस्य को मिलने वाले विशेषाधिकारों और प्रतिरक्षा का लाभ उठाता है, लेकिन निजी कानूनी प्रैक्टिस से वंचित नहीं है।
ए.जी. पर सीमाएँ
- भारत सरकार के विरुद्ध कोई सलाह या सूचना न देना।
- उन मामलों में सलाह न देना या संक्षिप्त विवरण न रखना जिनमें उसे भारत सरकार के लिये सलाह देने या उपस्थित होने के लिये कहा गया हो।
- भारत सरकार की अनुमति के बिना आपराधिक मुकदमों में आरोपी व्यक्तियों का बचाव नहीं करना।
- भारत सरकार की अनुमति के बिना किसी भी कंपनी या निगम में निदेशक के रूप में नियुक्ति स्वीकार नहीं करना। भारत सरकार के किसी भी मंत्रालय या विभाग या किसी भी सांविधिक संगठन या किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को सलाह नहीं देना जब तक कि इस संबंध में कानून और न्याय मंत्रालय, कानूनी मामलों के विभाग से संदर्भ प्राप्त न हो।
- ए.जी. केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य नहीं हैं।
- सरकारी स्तर पर कानूनी मामलों को देखने के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक अलग कानून मंत्री होता है।
भारत के सॉलिसिटर जनरल
- ए.जी. के अलावा, सॉलिसिटर जनरल और भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जैसे अन्य विधि अधिकारी भी होते हैं।
- वे ए.जी. को उनकी आधिकारिक ज़िम्मेदारियों को पूर्ण करने में सहायता करते हैं।
नोट: अनुच्छेद 76 में सॉलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल का उल्लेख नहीं है। |