APAAR आईडी
विविध
16-Jan-2025
चर्चा में क्यों?
शिक्षा मंत्रालय ने देशभर में विद्यार्थियों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को एकीकृत और सुव्यवस्थित करने के लिये APAAR ID की शुरुआत की है, जिसे "वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी कार्ड" कहा जाता है।
APAAR क्या है?
- APAAR का तात्पर्य स्वचालित स्थायी शैक्षणिक खाता रजिस्ट्री है।
- यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय क्रेडिट और योग्यता फ्रेमवर्क (NCrF) के तहत शुरू की गई एक विशिष्ट पहचान प्रणाली है।
- यह भारत में प्रत्येक छात्र को एक स्थायी 12-अंकीय आईडी प्रदान करता है ताकि वह अपने शैक्षणिक रिकॉर्ड को एक ही मंच पर समेकित कर सके।
प्रमुख विशेषताएँ
- स्वैच्छिक पंजीकरण: छात्र पंजीकरण कराना चुन सकते हैं; यह अनिवार्य नहीं है।
- उद्देश्य: 260 मिलियन से अधिक छात्रों की शैक्षिक प्रगति पर नज़र रखकर तथा विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ बनाकर शैक्षणिक अनुभव को सरल और बेहतर बनाना।
लाभ
- पारदर्शिता और जवाबदेही: शैक्षणिक प्रगति पर नज़र रखता है और रिकॉर्ड को सुव्यवस्थित करता है।
- समग्र विकास: इसमें शैक्षणिक रिकॉर्ड के साथ-साथ सह-पाठ्यचर्या उपलब्धियाँ भी शामिल हैं।
- दक्षता और धोखाधड़ी की रोकथाम: डेटा की सटीकता को बढ़ाता है और रिकॉर्ड के दुरुपयोग को रोकता है।
- पहुँच में आसानी: रोज़गार के अवसरों के लिये सुचारू स्थानान्तरण और अभिलेखों के आसान आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है।
- डेटा-संचालित निर्णय: संस्थानों और छात्रों के लिये सूचित निर्णय लेने में सहायता करता है।
क्या आप जानते हैं?अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शुरू किया गया अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट शैक्षणिक संस्थानों के बीच अकादमिक क्रेडिट के निर्बाध हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है। यह छात्रों को उनके अर्जित क्रेडिट को बनाए रखते हुए स्कूलों या कार्यक्रमों के बीच संक्रमण करने में सक्षम बनाता है, जिससे लचीलेपन और शैक्षणिक गतिशीलता को बढ़ावा मिलता है। डिजिलॉकर: डिजिलॉकर एक क्लाउड-आधारित प्लेटफार्म है जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा डिजिटल इंडिया पहल के तहत विकसित किया गया है। यह उपयोगकर्त्ताओं को दस्तावेज़ों और प्रमाण-पत्रों को डिजिटल रूप से सुरक्षित रूप से संग्रहीत, जारी और सत्यापित करने की अनुमति देता है। सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2016 के तहत डिजिलॉकर में संग्रहीत दस्तावेज़ों को कानूनी रूप से मूल भौतिक दस्तावेज़ों के समान माना जाता है। |