भारतीय प्रादेशिक सेना के 75 वर्ष

विविध


 09-Oct-2024

भारतीय प्रादेशिक सेना के बारे में 

  • उद्घाटन तिथि:  9 अक्तूबर 1949, भारत के अंतिम गवर्नर जनरल श्री सी. राजगोपालाचारी द्वारा। 
  • द्वितीय रक्षा पंक्ति: 'टेरियर्स' के नाम से जानी जाने वाली यह सेना नियमित भारतीय सेना के बाद राष्ट्रीय रक्षा की दूसरी पंक्ति के रूप में कार्य करती है। 
  • प्राथमिक ज़िम्मेदारियाँ 
    • नियमित सेना को स्थैतिक कर्तव्यों से मुक्त किया जाए। 
    • प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नागरिक प्रशासन की सहायता करना तथा समुदायों के संकटग्रस्त होने पर आवश्यक सेवाएँ जारी रखना। 
    • आवश्यकतानुसार नियमित सेना के लिये इकाइयाँ उपलब्ध कराना। 
  • कार्यरत: यह भारत के रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत है। 
  • आदर्श वाक्य: " सावधानी वा शूरता," या " सतर्कता और वीरता।" 
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 
    • अंग्रेज़ों द्वारा स्थापना: वर्ष 1920 में भारतीय प्रादेशिक अधिनियम के तहत। 
    • ITA के मूलतः दो विंग थे 
      • यूरोपियन और एंग्लो-इंडियन के लिये सहायक बल। 
      • भारतीय स्वयंसेवकों के लिये भारतीय प्रादेशिक बल। 
    • स्वतंत्रता के बाद: प्रादेशिक सेना अधिनियम 1948 में पारित किया गया , जिसके परिणामस्वरूप 1949 में प्रादेशिक सेना का औपचारिक उद्घाटन हुआ।

सी. राजगोपालाचारी के बारे में 

  • जन्म: 10 दिसंबर 1878 
  • वे राजाजी के नाम से लोकप्रिय थे। 
  • उन्होंने मद्रास (अब चेन्नई) के प्रेसीडेंसी कॉलेज में कानून की पढ़ाई की। 
    • उन्होंने वर्ष 1900 में सेलम में अभ्यास (Practice) शुरू किया। 
  • वर्ष 1916 में उन्होंने  तमिल वैज्ञानिक शब्दावली सोसायटी का गठन किया। 
    • यह एक संगठन था जिसने रसायन विज्ञान, भौतिकी, गणित, खगोल विज्ञान और जीव विज्ञान के वैज्ञानिक शब्दों का सरल तमिल शब्दों में अनुवाद किया। 
  • वह वर्ष 1917 में सेलम नगरपालिका के अध्यक्ष बने और दो वर्ष तक वहाँ सेवा की। 
  • वर्ष 1955 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार  भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 
  • मृत्यु: 25 दिसंबर 1972 
  • प्रमुख योगदान 
    •  साहित्यिक योगदान उन्होंने  रामायण का तमिल अनुवाद लिखा, जो बाद में चक्रवर्ती थिरुमगण के नाम से प्रकाशित हुआ। 
    • इस पुस्तक को वर्ष 1958 में तमिल भाषा में  साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। 
    • वह गांधीजी के समाचार पत्र यंग इंडिया के संपादक भी बने। 
    • राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान 
      • असहयोग आंदोलन 
      • वाइकोम सत्याग्रह 
      • सी. राजगोपालाचारी ने मद्रास प्रेसीडेंसी के वेदारण्यम में इसी प्रकार का मार्च निकाला था। 
      • भारत छोड़ो आंदोलन:  भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राजगोपालाचारी ने गांधीजी का विरोध किया।