अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का 7वाँ सत्र
विविध
07-Nov-2024
चर्चा में क्यों?
भारत को सातवें ISA असेंबली के दौरान अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया है, जिसने वैश्विक सौर ऊर्जा प्रयासों में अपनी अग्रणी भूमिका की पुष्टि की है। नई दिल्ली में आयोजित इस सत्र में 120 देशों की भागीदारी के साथ कृषि-वोल्टेइक कृषि, ऊर्जा पहुँच और स्थिरता पर ज़ोर दिया गया। प्रतिनिधियों ने कृषि के साथ सौर ऊर्जा उत्पादन को जोड़ने में भारत के नवाचार पर प्रकाश डाला।
एग्री वोल्टेइक फार्मिंग
- यह कृषि को सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ जोड़ने वाला एक अभिनव दृष्टिकोण है।
- इस पद्धति में फसलों के ऊपर सौर पैनल लगाए जाते हैं, जिससे भूमि का उपयोग कृषि और ऊर्जा उत्पादन दोनों के लिये किया जा सकता है।
- यह भूमि की उत्पादकता को अधिकतम करने में मदद करता है, कुछ फसलों के लिये छाया प्रदान करता है और मृदा की नमी की हानि को कम करता है।
- यह प्रणाली स्थायी ऊर्जा संक्रमण का समर्थन करती है, साथ ही कृषि लचीलापन और उत्पादकता को बढ़ाती है, विशेष रूप से सीमित कृषि योग्य भूमि वाले क्षेत्रों में।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)
- स्थापना: वर्ष 2015
- मुख्यालय: गुरुग्राम
- महानिदेशक: आशीष खन्ना
- यह सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग के लिये एक कार्य-उन्मुख, सदस्य-संचालित, सहयोगात्मक मंच है।
- इसका मूल उद्देश्य अपने सदस्य देशों में ऊर्जा तक पहुँच को सुगम बनाना, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा देना है।
- इसकी परिकल्पना भारत और फ्राँस द्वारा सौर ऊर्जा समाधानों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध प्रयासों को गति देने के लिये एक संयुक्त प्रयास के रूप में की गई थी।
- वर्तमान में इसमें 120 से अधिक सदस्य और हस्ताक्षरकर्त्ता देश शामिल हैं।
- महत्त्वपूर्ण परियोजनाएँ
- वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (OSOWOG)
- ISA सौर प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोग संसाधन केंद्र (ISTARC)
- भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) योजना
World’s First Wooden Satellite, Lign