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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 57वीं बैठक

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 03-Oct-2024

चर्चा में क्यों? 

DG श्री राजीव कुमार मित्तल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की 57वीं कार्यकारी समिति की बैठक में ₹1,062 करोड़ की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई। इनमें बिहार और उत्तर प्रदेश में सीवेज और जल निकासी प्रबंधन, महाकुंभ 2025 के लिये सूचना, शिक्षा और संचार (Information, Education, and Communication- IEC) गतिविधियाँ, उत्तराखंड में सेप्टेज सह-उपचार, ऑनलाइन STP निगरानी, नदी संरक्षण प्रयास और घड़ियाल प्रजनन कार्यक्रम शामिल हैं। 

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) 

  • इसकी स्थापना वर्ष 2011 में हुई थी। 
  • उद्देश्य: नमामि गंगे कार्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना जिसका उद्देश्य गंगा नदी को स्वच्छ और संरक्षित करना है। 
  • वर्ष 2016 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) के विघटन के बाद, यह राष्ट्रीय गंगा नदी पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन परिषद (राष्ट्रीय गंगा परिषद) की कार्यान्वयन शाखा है। 
  • यह जल शक्ति मंत्रालय के अधीन है। 
  • परियोजनाओं को अक्सर डिज़ाइन, निर्माण, संचालन और हस्तांतरण (DBOT) मॉडल के तहत क्रियान्वित किया जाता है, जिससे दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित होती है। 
  • इसके लिये वित्तपोषण केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ विश्व बैंक जैसी बाहरी एजेंसियों द्वारा भी उपलब्ध कराया जाता है। 

नमामि गंगे कार्यक्रम 

  • यह राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रदूषण में प्रभावी कमी, संरक्षण और पुनरुद्धार के दोहरे उद्देश्यों को पूर्ण करने हेतु एक एकीकृत संरक्षण मिशन है। 
  • इसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा 20,000 करोड़ रुपए के बजट परिव्यय के साथ 'फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था। 
  • मुख्य भाग 
    • गंगा के किनारे बसे शहरों और कस्बों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण और उन्नयन करना ताकि अनुपचारित सीवेज को नदी में जाने से रोका जा सके। 
    • नदी की सतह से तैरते मलबे और ठोस अपशिष्ट को साफ करने के लिये प्रौद्योगिकी और संसाधनों का उपयोग करना। 
    • यह सुनिश्चित करना कि नदी के किनारे स्थित उद्योग अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (ETP) के कार्यान्वयन और निगरानी के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को पूरा करें। 
    • गंगा डॉल्फिनों का संरक्षण, घड़ियाल प्रजनन कार्यक्रम तथा जलीय जीवन के लिये आवासों को बहाल करने जैसी परियोजनाएं। 
    • ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को कार्यान्वित करके गंगा ग्राम (स्वच्छ आदर्श गांव) को बढ़ावा देना।