04 सितम्बर, 2024
करेंट अफेयर्स
04-Sep-2024
करेंट अफेयर्स
1. पैरालंपिक 2024
चर्चा में क्यों?
शरद कुमार और मरियप्पन थंगावेलु ने पुरुषों की ऊँची कूद (High Jump) T63 स्पर्द्धा में क्रमशः रजत व कांस्य पदक जीते।
- अजीत सिंह और सुंदर सिंह गुर्जर ने भाला फेंक F46 फाइनल में क्रमशः रजत व कांस्य पदक जीते।
- दीप्ति जीवनजी ने पैरालिंपिक में महिलाओं की 400 मीटर T20 श्रेणी की फाइनल दौड़ में कांस्य पदक जीता।
महत्त्वपूर्ण संक्षिप्तीकरण (Abbreviation)
- T63: यह इवेंट उन एथलीटों के लिये है, जिनके घुटने में या घुटने से ऊपर के अंग में कमी है।
- F46: यह इवेंट उन एथलीटों के लिये है, जिनके हाथ में कमज़ोरी है, मांसपेशियों की शक्ति कम है या हाथों में निष्क्रिय गति की सीमा कम है।
- T20: T20 श्रेणी बौद्धिक अक्षमता वाले एथलीटों के लिये है।
पुरुषों की ऊँची कूद टी63 स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक
विजेता: एज्रा फ्रेंच
देश: संयुक्त राज्य अमेरिका
भाला फेंक F46 फाइनल में स्वर्ण पदक
विजेता: गुइलेर्मो गोंजालेज वरोना
देश: क्यूबा
महिलाओं की 400 मीटर T20 श्रेणी की फाइनल दौड़ में स्वर्ण पदक
विजेता: यूलिया शुलियार
देश: यूक्रेन
महिलाओं की 400 मीटर T20 श्रेणी की फाइनल दौड़ में रजत पदक
विजेता: आयसेल ओन्डर
देश: तुर्की
2. दिल्ली के उपराज्यपाल (L-G)
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली महिला आयोग और दिल्ली विद्युत नियामक आयोग जैसे किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड तथा आयोग का गठन करने के लिये पूर्ण अधिकार प्रदान किये हैं।
केंद्रशासित प्रदेशों (UT) का प्रशासन
- संविधान के भाग VIII में अनुच्छेद 239 से 241 तक संघ राज्य क्षेत्र से संबंधित हैं।
- यद्यपि सभी केंद्रशासित प्रदेश एक ही श्रेणी में आते हैं, फिर भी उनकी प्रशासनिक व्यवस्था में एकरूपता नहीं है।
- किसी संघ राज्य क्षेत्र का प्रशासक राष्ट्रपति का एजेंट होता है।
- राष्ट्रपति किसी प्रशासक का पदनाम निर्दिष्ट कर सकते हैं; वह उपराज्यपाल या मुख्य आयुक्त या प्रशासक हो सकता है।
- वर्तमान में यह दिल्ली, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के मामले में उपराज्यपाल है एवं चंडीगढ़, दादरा व नगर हवेली, दमन और दीव तथा लक्षद्वीप के मामले में प्रशासक है।
केंद्रशासित प्रदेशों से संबंधित अनुच्छेद
अनुच्छेद संख्या |
विषय - वस्तु |
239 |
केंद्रशासित प्रदेशों का प्रशासन |
239A. |
कुछ केंद्रशासित प्रदेशों के लिये स्थानीय विधानमंडलों या मंत्रिपरिषदों या दोनों का सृजन |
239AA. |
दिल्ली के संबंध में विशेष प्रावधान |
239AB. |
संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में प्रावधान |
239B. |
विधानमंडल के अवकाश के दौरान अध्यादेश जारी करने की प्रशासक की शक्ति |
240. |
कुछ केंद्रशासित प्रदेशों के लिये विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति |
241. |
केंद्रशासित प्रदेशों के लिये उच्च न्यायालय |
दिल्ली के लिये विशेष प्रावधान
- 1991 के 69वें संविधान संशोधन अधिनियम ने केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली को विशेष दर्जा प्रदान किया तथा इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) दिल्ली नाम दिया और दिल्ली का प्रशासक उपराज्यपाल को नामित किया।
दिल्ली के उपराज्यपाल के बारे में
- अनुच्छेद 239AA के तहत
- L-G को या तो मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करना होता है या फिर राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए संदर्भ पर लिये गए निर्णय को लागू करने हेतु बाध्य होता है।
- यह L-G को मंत्रिपरिषद के साथ ‘किसी भी मामले’ पर मतभेद को राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार देता है।
3. दक्षिण चीन सागर
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रक्षा संबंधों पर चर्चा के लिये ब्रुनेई में हैं।
सामरिक स्थिति
- दक्षिण चीन सागर की सीमा
- उत्तर में चीन और ताइवान
- पश्चिम में भारत-चीनी प्रायद्वीप (वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर सहित)।
- दक्षिण में इंडोनेशिया और ब्रुनेई।
- पूर्व में फिलीपींस (जिसे पश्चिमी फिलीपीन सागर कहा जाता है)।
- यह ताइवान जलडमरूमध्य द्वारा पूर्वी चीन सागर से तथा लुज़ोन जलडमरूमध्य द्वारा फिलीपीन सागर (दोनों प्रशांत महासागर के सीमांत समुद्र) से जुड़ा हुआ है।
दक्षिण चीन सागर का व्यापारिक महत्त्व
- सामरिक एवं अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन केंद्र (CSIS) के अनुसार, परिमाण की दृष्टि से 80% वैश्विक व्यापार तथा मूल्य की दृष्टि से 70% व्यापार समुद्री मार्ग द्वारा होता है, जिसमें से 60% एशिया से तथा वैश्विक नौवहन का एक-तिहाई हिस्सा दक्षिण चीन सागर से होकर गुज़रता है।
- दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन, दक्षिण चीन सागर पर बहुत अधिक निर्भर है, अनुमान है कि इसका 64% व्यापार इसी क्षेत्र से होकर गुज़रता है। इसके विपरीत, संयुक्त राज्य अमेरिका का केवल 14% व्यापार ही इन जलमार्गों से होकर गुज़रता है।
- भारत अपने लगभग 55% व्यापार के लिये इस क्षेत्र पर निर्भर है।
मत्स्यन क्षेत्र: दक्षिण-चीन सागर एक समृद्ध मत्स्यन क्षेत्र भी है, जो इस क्षेत्र के लाखों लोगों को आजीविका और खाद्य सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत प्रदान करता है।
सामान्य ज्ञान
जैव प्रौद्योगिकी
अर्थ:
- जैव प्रौद्योगिकी वह तकनीक है जो विभिन्न उत्पादों को विकसित करने या बनाने के लिये जैविक प्रणालियों, जीवित जीवों अथवा उनके भागों का उपयोग करती है।
- शराब बनाना और ब्रेड को पकाना ऐसी प्रक्रियाओं के उदाहरण हैं जो जैव प्रौद्योगिकी [वांछित उत्पाद बनाने के लिये खमीर ( जीवित जीव) का उपयोग] की अवधारणा के अंतर्गत आती हैं।
अनुप्रयोग:
- चिकित्सा विज्ञान
- निदान
- कृषि के लिये आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें
- प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ
- जैव उपचार
- अपशिष्ट उपचार
- ऊर्जा उत्पादन
जैव प्रौद्योगिकी के संदर्भ में भारत में विभाग:
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग:
- मंत्रालय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय
- जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee- GEAC):
- मंत्रालय: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEF&CC)
कृषि से संबंधित कार्यक्रम:
- गेहूँ जीनोम अनुक्रमण कार्यक्रम
- चावल कार्यात्मक जीनोमिक्स
- फसल जैव-प्रबलीकरण और गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम
- राष्ट्रीय पादप जीन भंडार कार्यक्रम
- चना जीनोमिक पर अगली पीढ़ी का चुनौती कार्यक्रम
भारत में जैव प्रौद्योगिकी के समक्ष चुनौतियाँ:
- अनुसंधान की निम्न गुणवत्ता: बायोटेक अनुसंधान पत्र “प्रकाशित करो या नष्ट हो जाओ (पब्लिश ऑर पेरिश)” संस्कृति पर आधारित है जो गुणवत्ता की अपेक्षा संख्या को अधिक महत्त्व देती है।
- पिछले कुछ वर्षों में अनुसंधान का ध्यान धीरे-धीरे मौलिक अनुसंधान से अनुप्रयुक्त अनुसंधान की ओर स्थानांतरित हो गया है।
- हालाँकि अनुप्रयुक्त अनुसंधान का लाभ तभी मिलेगा जब त्वरित लाभ की अपेक्षा किये बिना बुनियादी अनुसंधान में निवेश किया जाएगा।
- विकसित अर्थव्यवस्थाओं (संयुक्त राज्य अमेरिका) की तुलना में भारत में जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान मुख्य रूप से सरकारी खजाने से वित्त पोषित होता है।
- जब तक निजी क्षेत्र अनुप्रयुक्त अनुसंधान का समर्थन करना शुरू नहीं करता और शैक्षणिक संस्थानों के साथ जुड़ना शुरू नहीं करता, तब तक अनुप्रयुक्त तथा अनुवादात्मक जैव प्रौद्योगिकी में नवाचार न्यूनतम होगा।
- वैज्ञानिकों के न्यूनतम वेतन (विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में) और कुछ संस्थागत अनुसंधान आधारों ने जैव प्रौद्योगिकी में अधिक रोज़गार उत्पन्न करने में मदद नहीं की है।
- जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों और समाधानों को अक्सर नैतिक तथा नियामक मंज़ूरी की आवश्यकता होती है, जिससे प्रक्रिया लंबी, महँगी एवं बोझिल हो जाती है।
- जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में कार्य की विशिष्ट प्रकृति के कारण, युवा, अनुभवहीन वैज्ञानिकों की बहुत कम आवश्यकता है, क्योंकि अधिकांश पद अनुभवी, प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों के पास हैं।
- नवाचार, उद्यमशीलता और प्रौद्योगिकी सृजन के संदर्भ में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को इस क्षेत्र में वर्षों का अनुभव, परिष्कृत उपकरणों से युक्त प्रयोगशालाओं तक पहुँच तथा नवाचार के लिये निरंतर एवं दीर्घकालिक वित्तपोषण की आवश्यकता होती है।
समाचार में प्रमुख हस्तियाँ
नाम |
पदनाम |
छवि |
अजित पवार |
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री |
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विनय कुमार सक्सेना |
दिल्ली के उपराज्यपाल |
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ममता बनर्जी |
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री |
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एकनाथ शिंदे |
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री |
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हसनल बोल्किया |
ब्रुनेई के सुल्तान |
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एन. बीरेन सिंह |
मणिपुर के मुख्यमंत्री |