नशा नाश का मूल

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  20-Aug-2024 | शालिनी श्रीवास्तव




किसी भी प्रकार के नशे अथवा खाद्य/पेय पदार्थों के सेवन की लत व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाती है। खासतौर से नशीले पदार्थों का सेवन हानिकारकर होता है। नशीले पदार्थों में पाए जाने वाले रसायन शरी के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस ब्लॉग में सूचीबद्ध तरीके से हम ऐसे ही विभिन्न पदार्थों में पाए जाने वाले रसायनों और उनके दुष्प्रभावों के बारे में जानेंगे। साथ ही, इनमें से किन देशों में किन पदार्थों पर और किस प्रकार के प्रतिबंध हैं, इसकी जानकारी भी इस ब्लॉग में पढ़ेंगे।

1. तंबाकू: तम्बाकू में पाया जाने वाला निकोटिन नशे की लत, श्वसन समस्याएं और कैंसर के बढ़ते जोखिम का कारण बनता है। तम्बाकू युक्त पदार्थों के कुछ उदाहरण हैं:-

1. सिगरेट: तम्बाकू से बनी सिगरेट।
2. बीड़ी: तम्बाकू से बनी बीड़ी।
3. सिगार: तम्बाकू से बने सिगार।
4. पाइप तम्बाकू: पाइप में जलाने वाला तम्बाकू।
5. चबाने वाला तम्बाकू: पान मसाले के साथ चबाए जाने वाला तंबाकू।
6. स्नफ: सूखे तम्बाकू को नाक में लेने वाला स्नफ।
7. हुक्का: हुक्का में जलाने वाला तम्बाकू।
8. ई-सिगरेट: ई-सिगरेट में उपयोग होने वाला तम्बाकू युक्त लिक्विड।

तम्बाकू युक्त पदार्थों के सेवन से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि:-

  • फेफड़ों का कैंसर
  • मुंह का कैंसर
  • गले का कैंसर
  • हृदय रोग
  • फेफड़ों की बीमारियां
  • दांतों की समस्याएं
  • सांस की समस्याएं

तम्बाकू युक्त पदार्थों का सेवन करने से भरपूर परहेज करना चाहिए। तम्बाकू के दुष्प्रभावों को देखते हुए और उससे होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि होने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में तम्बाकू निषेध दिवस मनाये जाने का निर्णय किया और अगले साल यानी 1988 में अप्रैल माह से इस दिन को मनाये जाने की शुरुआत हुई। अब यह दिन विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के रूप में मई माह के आखिरी दिन (31 मई को) मनाया जाता है। इस बार तम्बाकू निषेध दिवस की थीम "Protecting children from tobacco industry interference" रखा गया जिसका अर्थ, “बच्चों को तम्बाकू इंडस्ट्री के प्रभाव से दूर रखना” है। आज के दौर में हुक्का और ई-सिगरेट के रूप में तम्बाकू का प्रयोग बच्चों के बीच भी तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि नई उम्र के युवाओं में एक धारणा है कि फ्लेवर्ड हुक्का और ई-सिगरेट सेफ हैं जबकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये उत्पाद भी बिल्कुल सेफ नहीं है और हमें बच्चों को विशेषकर इस प्रकार के उत्पादों से दूर रखना चाहिए।

2. शराब: शराब में एथेनॉल होता है जो इस नशे की लत, लिवर की क्षति और कैंसर समेत सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते जोखिम का कारण बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल शराब के हानिकारक उपयोग से 30 लाख लोगों की मौत होती है। शराब के हानिकारक प्रभावों तथा कई मानसिक और व्यवहार संबंधी विकारों के बीच संबंध है। शराब की वज़ह से व्यक्ति व समाज, दोनों को सामाजिक और आर्थिक नुकसान होता है।

2008 में, भारत ने जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान विश्व शराब निषेध दिवस का प्रस्ताव रखा। उन्होंने 2 अक्टूबर की तारीख इसलिए चुनी क्योंकि इस दिन महात्मा गांधी की जयंती थी, जिनका जन्म 1869 में हुआ था। इस प्रस्ताव को दक्षिण पूर्व एशिया के 11 देशों से समर्थन मिला। प्रस्ताव के उसी दिन, 193 विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सदस्यों ने शराब से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा, इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज सहित कई संगठनों द्वारा भी कई वर्षों से इस दिन को मनाया जा रहा है।

सोमालिया ऐसा देश है, जहां शराब पीना और बेचना पूरी तरह से बैन है। सोमालिया में शराब देश की मुस्लिम संस्कृति द्वारा प्रतिबंधित है। लेकिन पारंपरिक रूप से देश में इसकी अनुमति गैर-मुसलमानों और आने वाले विदेशियों को मिली हुई है। ये लोग अपने निजी स्थानों पर शराब का सेवन कर सकते हैं। देश में रह रहे इस्लामी कानूनों को मानने वाले अगर ये नियम तोड़ते हैं, तो उन्हें कड़ी सजा दी जाती है।

सऊदी अरब में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ है, इस देश में शराब के उत्पादन से लेकर बेचने और पीने तक सबकुछ मना है। ये जरूरी है कि शराब के साथ देश में कोई भी एंट्री ना करें और इसी वजह से इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि हवाई अड्डे पर सामान की अच्छे से जांच हो। सऊदी अरब में अगर आप सार्वजनिक रूप से शराब बेचते हुए या पीते हुए पकड़े जाते हैं, तो उसे सख्त से सख्त सजा दी जाती है। शरिया कानून के मुताबिक मुसलामानों के लिए शराब का सेवन बैन है।

कुवैत में भी शराब की बिक्री और उसके इस्तेमाल को लेकर एक कानून बनाया गया है। अगर कोई भी व्यक्ति इस जगह पर शराब पीता है या फिर शराब पीकर गाड़ी चलाता है, तो उसे सख्त सजा दी जाती है। कानून तोड़ने पर विदेशियों को भी जेल और देश से बाहर करने तक की सजा शामिल है।

सूडान में साल 1983 में शराब के साथ-साथ सभी तरह के मादक पेय पदार्थों के उत्पादन से लेकर पीने तक पर प्रतिबंध लगा हुआ है। यहां शराब ना पीने का कानून खासतौर पर देश के मुसलमानों पर लागू है। अगर आप यहां घूमने के लिए जा रहे हैं, तो उन्हीं जगहों पर शराब का सेवन कर सकते हैं, जहां पर पीने की इजाजत है।

3. ओपियोइड्स: ओपिओइड्स एक प्रकार की दवा है जो दर्द को कम करने के लिए उपयोग की जाती है। ये दवाएं ओपियम पौधे से प्राप्त होती हैं और मस्तिष्क में दर्द की भावना को कम करने के लिए काम करती हैं।
ओपिओइड्स के कुछ उदाहरण हैं:-
1. मॉर्फिन
2. हेरोइन (एक अवैध दवा)
3. ऑक्सीकोडोन
4. हाइड्रोकोडोन
5. फेंटेनाइल
6. कोडीन
7. मेथाडोन

ओपिओइड्स का उपयोग अक्सर गंभीर दर्द के मामलों में किया जाता है, जैसे कि:

  • सर्जरी के बाद दर्द से राहत पाने के लिए
  • कैंसर के दर्द से राहत पाने के लिए
  • किसी गंभीर चोट या दुर्घटना के कारण दर्द से राहत पाने के लिए

हालांकि, ओपिओइड्स के दुरुपयोग और लत की संभावना भी होती है। लंबे समय तक ओपिओइड्स का उपयोग करने से शरीर को इसकी लत लग सकती है, जिससे व्यसन हो सकता है।

ओपिओइड्स के दुष्प्रभावों में निम्न लक्षण शामिल हो सकते हैं:-

  • नींद की समस्याएं
  • सिरदर्द
  • मतली और उल्टी
  • कब्ज
  • निर्भरता और व्यसन

ओपिओइड्स का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। ओपिओइड्स में मॉर्फिन, हेरोइन, फेंटेनिल रसायन पाए जाते हैं जिससे अत्यधिक नशे की लत, अवसाद और मृत्यु का कारण बन सकता है।

4. कोकीन: कोकीन में हाइड्रोक्लोराइड पाया जाता है जो इस नशे की लत, हृदय संबंधी समस्याएं और स्ट्रोक समेत हृदय गति के बढ़ते जैसे जोखिम का कारण बनता है।

दक्षिण अमेरिका के आदिवासी कोका पौधे की पत्तियों से बने इस ड्रिंक को नशे की बजाय दवाई के तौर पर इस्‍तेमाल करते थे। जब स्‍पेन के कॉलोनाइजर्स दक्षिण अमेरिका पहुंचे तो उन्‍हें भी इस पौधे के बारे में जानकारी मिली। उन्‍होंने कोका पत्तियों के चबाने को अपराध घोषित करके इसकी खेती पर पाबंदी लगा दी। हालांकि, जब स्‍पेन के वैज्ञानिकों ने कोका पौधे पर शोध किया तो उन्‍होंने पाया कि इसकी पत्तियां चबाने से दिमाग की निष्क्रिय पड़ीं नसें ऊर्जा पाकर सक्रिय हो जाती हैं। फिर उन्‍होंने कोका की खेती शुरू करा दी और इस पर 10 फीसदी टैक्स भी लगा दिया।

कोकेन को पहली बार दिसंबर 1914 में ‘हैरिसन अधिनियम’ के पारित होने के साथ संघीय रूप से विनियमित किया गया था। हैरिसन अधिनियम ने कोकीन के गैर-चिकित्सा उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके आयात पर रोक लगा दी। कोकीन उपयोगकर्ताओं के लिए वही आपराधिक दंड लगाया, जो अफीम, मॉर्फिन और हेरोइन के उपयोगकर्ताओं के लिए लगाया गया था और कोकेन का चिकित्सा के लिए उपयोग किये जाने पर भी सख्त रूप से लेखा-जोखा रखने की हिदायत दी गयी।

5. चीनी: चीनी में पाए जाने वाले फ्रुक्टोज, ग्लूकोज इत्यादि नशे की लत, मोटापा और मधुमेह समेत हृदय रोगों के बढ़ने के कारण बनते हैं।

चीनी युक्त उत्पादों के कुछ उदाहरण हैं:-
1. मीठे पेय: सोडा, खाद्य पदार्थों में उपयोग किया जाने वाला सिरप इत्यादि।
2. बेक्ड माल: केक, कुकीज़, पेस्ट्री और ब्रेड में अक्सर चीनी होती है।
3. कैंडी और मिठाइयाँ: चीनी से बने कैंडी, चॉकलेट और मिठाइयाँ।
4. फ्रूट जूस और स्मूदीज़: कुछ फ्रूट जूस और स्मूदीज़ में चीनी मिलाई जाती है।
5. प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ: कुछ प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों जैसे कि स्नैक्स और सूप में चीनी होती है।
6. डेसर्ट: आइस क्रीम, पुडिंग और जेली में अक्सर चीनी होती है।
7. ब्रेकफास्ट सेरियल: कुछ ब्रेकफास्ट सेरियल में चीनी होती है।
8. एनर्जी बार: कुछ एनर्जी बार में चीनी होती है।

चीनी युक्त उत्पादों का सेवन करने से पहले भी सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि अधिक चीनी का सेवन करने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि:-

  • मोटापा
  • मधुमेह
  • दंत क्षय
  • हृदय रोग

हाल ही में बच्चों के लिए सेरेलैक बनाने वाली कम्पनी नेस्ले पर भी बच्चों के लिए बनने वाले सेरेलैक में एडेड सुगर होने का आरोप लगा था। हालांकि कम्पनी ने उसे खारिज कर दिया और बताया कि वह बच्चों के प्रोडक्ट में भारत के FSSAI के द्वारा बच्चों के लिए निर्धारित शुगर से भी कम शुगर उपयोग करते हैं। कम्पनी का दावा है कि FSSAI ने प्रति 100 ग्राम बेबी फूड में 13.6 ग्राम एडेड शुगर की मंजूरी दी हुई है। नेस्ले के सेरेलैक में सिर्फ 7.1 ग्राम एडेड शुगर ही है। इसलिए हमारे ऊपर लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं।

6. चाय: भारत में चाय और कॉफी का सेवन तो बिल्कुल सामान्य माना जाता है। ऑफिस में थकान हुई तो चाय पी ली, किसी के घर मिलने गए, या यूँ ही बात करने बैठे और चाय पी ली। यहां तक की हमारे घरों में तो बच्चों को भी चाय और कॉफी बचपन से ही दे दी जाती है। चाय में पाया जाने वाला कैफीन नशे की लत, चिंता, अनिद्रा और हृदय गति में वृद्धि का कारण बन सकता है। कैफीन युक्त पदार्थों के उदाहरण हैं:-

1. कॉफी: कॉफी में कैफीन की मात्रा सबसे अधिक होती है, जो एक कप में लगभग 95-200 मिलीग्राम होती है।
2. चाय: चाय में कैफीन की मात्रा कॉफी की तुलना में कम होती है, लेकिन फिर भी यह एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
3. एनर्जी ड्रिंक्स: एनर्जी ड्रिंक्स में अक्सर कैफीन की उच्च मात्रा होती है, जो एक सर्विंग में 80-300 मिलीग्राम तक हो सकती है।
4. चॉकलेट: डार्क चॉकलेट और कुछ प्रकार के कैंडी में कैफीन होता है, लेकिन मात्रा आमतौर पर कम होती है।
5. कुछ दवाएं: कुछ ओवर-द-काउंटर दवाएं, जैसे कि पेन रिलीवर और कोल्ड मेडिसिन्स में कैफीन होता है।
6. विटामिन और सप्लीमेंट्स: कुछ विटामिन और सप्लीमेंट्स में कैफीन होता है, इसलिए लेबल को ध्यान से पढ़ना महत्वपूर्ण है।

कैफीन की निर्धारित की गई दैनिक सीमा 400 मिलीग्राम है, जो लगभग 3-4 कप कॉफी के बराबर है। अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करने से दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि:

  1. अनिद्रा
  2. चिंता
  3. तेज़ दिल की धड़कन
  4. पेट खराब होना
  5. सिरदर्द

कैफीन का सेवन करने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, खासकर वो महिलाएं, जो गर्भवती हैं, स्तनपान करा रही हैं या किसी दवा का सेवन कर रही हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिनभर में 300 से 400 मिलीग्राम से ज्यादा कैफीन नहीं लेनी चाहिए। एक दिन में अधिकतम तीन कप चाय पी जा सकती है। वहीं सिर्फ एक कप कॉफी पी सकते हैं क्योंकि एक कप कॉफी में तीन कप चाय के बराबर कैफीन होता है।

7. व्हापिंग उत्पादों के बारे में जानकारी:
व्हापिंग उत्पाद, जिन्हें ई-सिगरेट या वेपराइज़र भी कहा जाता है, वे बैटरी से चलने वाले उपकरण हैं जो एक तरल घोल को वाष्प में बदल देते हैं जिसे उपयोगकर्ता साँस से खींचते हैं। ये उत्पाद विभिन्न रूपों में आते हैं:-
1. ई-सिगरेट: तंबाकू की सिगरेट के आकार के उपकरण जो वाष्प उत्पन्न करते हैं।
2. वेपराइज़र: बड़े व पुनः भरने योग्य उपकरण जो विभिन्न प्रकार के ई-लिक्विड का उपयोग कर सकते हैं।
3. पॉड सिस्टम: छोटे, पोर्टेबल उपकरण जो प्री-फिल्ड पॉड का उपयोग करते हैं।
4. टैंक सिस्टम: बड़े, पुनः भरने योग्य उपकरण जो उपयोगकर्ता द्वारा भरे जाने वाले टैंक का उपयोग करते हैं।

इन उत्पादों में अक्सर निकोटिन व स्वाद समेत अन्य रसायन होते हैं। हालांकि वे तंबाकू की तुलना में कम हानिकारक माने जाते हैं, फिर भी वे स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं, विशेष रूप से युवाओं और गर्भवती महिलाओं के लिए। व्हापिंग से जुड़े कुछ स्वास्थ्य जोखिमों में शामिल हैं:-

  1. निकोटिन की लत
  2. फेफड़ों की क्षति और बीमारियां
  3. दिल की समस्याएं
  4. कैंसर का खतरा बढ़ जाना
  5. युवाओं में मस्तिष्क विकास को नुकसान पहुंचाना

वैपिंग प्रोडक्ट्स में निकोटिन और टीएचसी पाया जाता है जिससे नशे की लत, श्वसन समस्याएं और फेफड़ों की क्षति और मृत्यु के बढ़ते जोखिम का कारण बनता है। ई-सिगरेट के नुकसान को देखते हुए विश्व के 34 देशों में इसे बैन कर दिया गया है। इनमें भारत समेत ब्राजील, ईरान, थाईलैंड आदि शामिल हैं लेकिन इन उत्पादों को बैन करना मुश्किल है क्योंकि इन उत्पादों की अवैध रूप से कालाबाजारी भी की जाती है।

8 भाँग-
कैनिबस यानी भाँग के पौधों की कलियों को संस्कृत में गांजा कहा जाता है। इसके फूलों और पत्तियों को सुखाकर बारीक तम्बाकू की तरह चिलम या सिगरेट में भरकर पिया जाता है। भांग के बीजों में भरपूर फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, अमीनो एसिड भी होता है। अमेरिका में हुए शोधों के मुताबिक इसके औषधीय गुण ब्लड शुगर कंट्रोल करने से लेकर अग्नाशय के कैंसर और आर्थराइटिस से लेकर दिल की बीमारी को ठीक करने में सक्षम हैं। हालांकि इसके लिए भांग का इस्तेमाल नियंत्रित तरीके से दवा के रूप में चिकित्सक की सलाह पर ही होना चाहिए।

भारत के कई राज्यों में भांग की खेती को औद्योगिक इस्तेमाल, शोध व चिकित्सा के इस्तेमाल के लिए किया जा सकता है। सामान्य तौर पर इसे एनडीपीएस अधिनियम 1985 द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। उत्तर प्रदेश में भांग की बिक्री के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है, ठीक वैसे ही जैसे शराब की बिक्री के लिए। बिहार और पश्चिम बंगाल में भांग के उत्पादन की अनुमति है। उत्तराखंड में भी भांग की खेती की जाती है जबकि राजस्थान में भांग के उत्पादन की अनुमति नहीं है।

9. चरस-
चरस गांजा के पौधे के फूलों और पत्तियों से निकाला गया एक पदार्थ है। चरस में टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (टीएचसी) और अन्य यौगिक होते हैं। चरस का उपयोग अक्सर नशीले प्रभावों के लिए किया जाता है और इसका उपयोग अक्सर गांजा की तुलना में अधिक शक्तिशाली माना जाता है। यह एक प्रकार का भारतीय गांजा (marijuana) है जिसे भारत में चरस या बिलयापन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्रकार का कस्टरेटिंग एजेंट होता है जो कि भारतीय गांजा के राशि में पाया जाता है। यह चिकना, काले रंग का रेजिन होता है। भारत में चरस (charas) को नशे की द्रव्यता के कारण अवैध माना जाता है। यह नशे की द्रव्यता अधिनियम, 1985 (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985) के तहत नशीले पदार्थों की सूची में शामिल है। इस अधिनियम के तहत चरस के उत्पादन, परिवहन, भंडारण, विक्रय, खरीद और उपयोग को अवैध घोषित किया गया है।

10. गांजा-
गांजा एक पौधा है जिसमें कई रसायनिक यौगिक पाए जाते हैं। गांजा के पत्ते और फूलों का उपयोग नशीले प्रभावों के लिए किया जाता है। गांजा का उपयोग अक्सर सूखे पत्तों और फूलों के रूप में किया जाता है।

गांजा में मुख्य रूप से दो प्रकार के यौगिक पाए जाते हैं:
1. टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (टीएचसी): यह गांजा का मुख्य मनो-सक्रिय यौगिक है, जो नशीला और मनोदैहिक प्रभाव पैदा करता है। यह यौगिक नशीला और मनोदैहिक प्रभाव पैदा करता है, जो निर्भरता और लत का कारण बन सकता है।

2. कैनाबिडिओल (सीबीडी): यह गांजा का एक अन्य यौगिक है, जो दर्द निवारक और सूजन-रोधी प्रभाव पैदा करता है लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

गांजे के नुकसान के कुछ कारण हैं:-

गांजा का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि चिंता, डिप्रेशन और सिज़ोफ्रेनिया का कारण बन सकता है।

इससे स्मृति और सीखने में समस्याएं हो सकती है। गांजे का उपयोग निर्भरता और लत का कारण बन सकता है। गांजे का उपयोग शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि फेफड़ों की समस्याएं, हृदय रोग और पाचन तंत्र की समस्याएं, यौन समस्याएं, प्रजनन संबंधी समस्याएं, इम्यून सिस्टम इत्यादि की समस्याएं पैदा कर सकता है। गांजे का उपयोग सड़क दुर्घटनाओं का भी कारण बन सकता है। अत्यधिक गांजे का उपयोग मृत्यु का कारण भी बन सकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गांजा के यौगिकों का प्रभाव व्यक्ति की आयु, स्वास्थ्य और उपयोग की मात्रा पर निर्भर करता है।

गांजा की वैधता देश और क्षेत्र के अनुसार भिन्न होती है। यहाँ कुछ देश और क्षेत्र हैं जहाँ गांजा बैन है:

भारत में गांजे की खेती और बिक्री अवैध है, लेकिन इसका सीमित उपयोग आयुर्वेदिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। बांग्लादेश, श्रीलंका व म्यांमार में गांजे की खेती और बिक्री दोनों अवैध है। नेपाल में भी गांजे की खेती और बिक्री अवैध है, लेकिन इसका सीमित उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। पाकिस्तान, इंडोनेशिया, भूटान, मलेशिया, सिंगापुर में गांजा पूरी तरह से बैन है। वहीँ जर्मनी में गंजे को वैध करने की कवायद शुरू हो गयी है। पिछले वर्ष इसके लिए जर्मनी में एक बिल भी पेश किया गया। हालाँकि इसके दुष्प्रभावों को रोकने के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं।

अंततः यह कहा जा सकता है कि अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए हमें हर प्रकार के नशे से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए और अपने करीबियों को भी यही सलाह देनी चाहिए।



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