राष्ट्रीय युवा संसद
« »29-May-2023 | सचिन समर
आजादी के बाद भारत ने शासन की संसदीय व्यवस्था को अपनाया। निश्चित रूप से यह संसदीय व्यवस्था ब्रिटेन से प्रभावित है लेकिन सदैव यह प्रयास किया जाता रहा कि भारतीय संविधान, संस्थाएं और इनकी कार्यप्रणाली भारतीय समाज के मूल्यों के अनुरूप हों। इसके लिए न सिर्फ सैद्धांतिक प्रयास किए गए बल्कि व्यावहारिक स्तर पर योजनाएं भी बनाई गईं और सतत रूप से संचालित की जा रही हैं। यदि हम भारतीय इतिहास और समाज का अवलोकन करें तो लोकतांत्रिक और संसदीय मूल्य भारतीय समाज में सदैव विद्यमान रहे हैं। आज आधुनिक लोकतांत्रिक मूल्यों और भारतीय समाज में विद्यमान संसदीय मूल्यों का समावेश करके विभिन्न प्रकार के विचारों को कार्य रूप में लागू किया जा रहा है। राष्ट्रीय युवा संसद भी एक ऐसा ही विचार है।
वर्ष 1962 में सचेतक सम्मेलन मुंबई के दौरान युवा संसद के विचार की उत्पत्ति हुई जिसका लक्ष्य संस्थाओं और पंचायतों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में मॉक पार्लियामेंट के आयोजन हेतु प्रोत्साहन देना था। 1965 में संसदीय कार्यकारी मंत्रालय ने दिल्ली के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में युवा संसद के प्रतियोगिता की योजना तैयार की और पहली युवा संसद 1965-67 में आयोजित की गई।
राष्ट्रीय युवा संसद (National Youth Parliament) एक ऐसा संगठन है जो भारतीय युवाओं के हितों की रक्षा करने और उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया है। यह एक स्वयंसेवी संस्था है जो मुख्य रूप से युवाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करती है। राष्ट्रीय युवा संसद का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसका संचालन राष्ट्रीय युवा विकास अभियान के अंतर्गत किया जाता है। इसके तहत युवाओं को अधिक सक्रिय रूप से लोकतंत्र में भागीदारी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस संस्था का उद्देश्य नयी पीढ़ी को सक्षम और जागरूक बनाना है जिससे वे राष्ट्र के विकास में अहम भूमिका का निर्वहन कर सकें। साथ ही युवाओं को राजनीतिक जागरूकता, नेतृत्व कौशल, और देशभक्ति के संबंध में जानकारी भी प्रदान करना है। राष्ट्रीय युवा संसद ऐसा मंच है जो राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस और विचार-विमर्श के लिए बनाया गया है।
इसके अंतर्गत युवाओं को नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने और राष्ट्रीय एकता एवं एकीकरण को बढ़ावा देने का कार्य किया जाता है। इसके अलावा संस्था अन्य सामाजिक और कला-संस्कृति के क्षेत्र में भी गतिविधियों का आयोजन करती है। युवा संसद के तहत हम संसद के कार्यों को किस तरह किया जाता है अवगत होते हैं।
युवा संसद का उद्देश्य –
युवाओं की सक्रियता बढ़ाना: राष्ट्रीय युवा संसद युवाओं की सक्रियता को बढ़ाने के लिए कार्य करती है। इसके जरिए संस्था उन्हें नैतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति जागरूक बनाती है और उनके सशक्तिकरण के लिए कदम उठाती है।
राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करना: संस्था का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करना है। इसके लिए संस्था भारत के विभिन्न हिस्सों से आए युवाओं को एक साथ लेकर काम करती है।
युवाओं का नए क्षेत्रों में प्रवेश: संस्था युवाओं को नए क्षेत्रों में ले जाने के लिए काम करती है। इसके जरिए युवाओं को नई तकनीकों, विचारों और समाज के ताज़ा मुद्दों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
युवाओं की राजनीतिक जागरूकता बढ़ाना: संस्था युवाओं को राजनीतिक जागरूकता के साथ समाज के मुद्दों के प्रति जागरूक बनाने का प्रयास करती है। यह उन्हें लोकतंत्र और न्याय के मूल्यों के बारे में सशक्त बनाता है और उन्हें सक्रिय नागरिकों के रूप में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है।
युवा के समूहों को संगठित करना: संस्था युवाओं के समूहों को संगठित करने का उद्देश्य रखती है। इसके जरिए वे संस्था के माध्यम से एक दूसरे से जुड़ते हैं और सामूहिक रूप से सक्रियता दिखाते हैं।
यदि हम बिंदुवार देखें तो राष्ट्रीय युवा संसद के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- विद्यार्थियों को संसदीय प्रक्रिया समझाना।
- विद्यार्थियों को संसद की कार्यवाहियों को सरलता से बताना।
- विद्यार्थियों का सार्वजनिक विषयों पर अध्ययन करवाना और उन्हें एक राय बनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
- वाद-विवाद के बाद निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना।
- विद्यार्थियों को सामूहिक विचार-विमर्श का प्रशिक्षण देना।
- उनमें दूसरों के विचारों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता का विकास करना।
- देश के समक्ष समस्याओं से अवगत कराना।
- छात्रों में लीडरशिप यानी नेतृत्व कौशल का विकास करना।
- छात्रों में जनसाधारण की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता का विकास करना।
संभावनाएं-
कोई भी देश एक लंबी प्रक्रिया और वक्त के पश्चात ही संवैधानिक मूल्यों को समाज के निचले हिस्से तक पहुंचा पाता है। आजादी के 75 वर्षों बाद भी देश की एक बड़ी आबादी संविधान, संसद और लोकतांत्रिक मूल्यों से अनभिज्ञ है। राष्ट्रीय युवा संसद का विचार युवा पीढ़ी को भारत की संसदीय व्यवस्था से न सिर्फ परिचित कराने से संबंधित है बल्कि एक जागरूक नागरिक बनाने की दिशा में किया गया सकारात्मक प्रयास है।
राष्ट्रीय युवा संसद के माध्यम से ऐसे युवा जो अगले कुछ वर्षों में मतदाता के रूप में पंजीकृत होंगे उन्हें एक जागरूक मतदाता और उनके व्यक्तित्व में अंतर्निहित नेतृत्व क्षमता और संभावनाओं को सामाजिक पटल पर लाने की कोशिश है।
निष्कर्ष-
राष्ट्रीय युवा संसद एक महत्वपूर्ण मंच है, जो भारत के युवाओं को उनकी समस्याओं और आवश्यकताओं के समाधान के लिए एक समाज सेवी संस्था के रूप में दिया जाता है। यह संसद युवाओं की समस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय रूप से संघर्ष करने और अपनी भूमिका को नेतृत्व, संघर्ष क्षमता, संगठन कौशल और समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक जानकारी देने के लिए प्रेरित करती है।
यह संसद युवाओं को अपने देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों के संबंध में जागरूक बनाने में मदद करती है और उन्हें अपनी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह संसद युवाओं के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और उन्हें सामाजिक न्याय, समरसता और सामाजिक संबंधों में उन्नति करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय युवा संसद एक ऐसी संस्था है जो भारत के युवाओं को सक्रिय रूप से संघर्ष करने और उनके समस्याओं के समाधान के लिए प्रयत्न करती है।
सचिन समरसचिन समर ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी से 'हिंदी पत्रकारिता' में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में भारतीय जन संचार संस्थान नई दिल्ली में 'विज्ञापन एवं जनसंपर्क' पाठ्यक्रम में अध्ययनरत है साथ ही स्वतंत्र पत्रकारिता एवं लेखन कर रहे हैं। |
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