सपनों से हक़ीक़त तक: भारत की 10 शीर्ष महिला उद्यमी

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  20-Aug-2024 | चार्वी दवे




भारतवर्ष एक सम्पन्न परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों से समृद्ध देश है, जहाँ महिलाओं का समाज में प्रमुख स्थान रहा है। बदकिस्मती से विदेशी शासनकाल में समाज में अनेक कुरीतियाँ पैदा हुई, जिससे महिलाओं का उत्पीड़न हुआ। आज़ादी के बाद महिलाओं का समाज में सम्मान बढ़ा, लेकिन उनके सशक्तीकरण की गति दशकों तक धीमी रही। गरीबी व निरक्षरता महिलाओं की प्रगति में गंभीर बाधा रहे हैं। भारतीय महिलाएँ ऊर्जा से भरपूर, दूरदर्शिता, उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं। आज महिलाएं भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उन्होंने हर क्षेत्र में एक अद्भुत प्रभाव डाला है और सफलता हासिल की है।

भारत के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों में, “हमारे लिये महिलाएँ न केवल घर की रोशनी हैं, बल्कि इस रौशनी की लौ भी हैं।” महिलाएँ अनादि काल से मानवता की प्रेरणा का स्रोत रही हैं। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई से लेकर भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले तक, महिलाओं ने समाज में बदलाव के बडे़ उदाहरण स्थापित किये हैं। भारत जैसे देश में, जहाँ ज़्यादातर महिलाओं को बड़ा सोचने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता, कुछ ने एक सीमित हद में जितना सोचा जा सकता है, उससे कहीं ज़्यादा ऊँचाई पर उड़ान भरी है।

हालाँकि वर्तमान में भारतीय महिलाएँ शिक्षण व चिकित्सा जैसे पारंपरिक व्यवसायों से आगे बढ़कर उद्यम की दुनिया में भी हाथ आज़मा रही हैं। ऐसे में यह बेहद प्रासंगिक है कि कुछ चुनिंदा महिला उद्यमियों की उपलब्धियों के बारे में बात की जाए। इसी क्रम में प्रस्तुत लेख में हम 20वीं-21वीं सदी की 10 ऐसी प्रमुख भारतीय महिला उद्यमियों की बात करेंगे जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम के बल पर एक उद्यम को बढ़ावा देते हुए न सिर्फ नाम कमाया है बल्कि अपने जैसी हज़ारों और महिलाओं के लिये प्रेरणास्रोत भी बनी हैं।

कल्पना सरोज: महिला उद्यमियों की इस सूची में पहला नाम कल्पना सरोज का है। कल्पना सरोज आज उद्यमी और कमानी ट्यूब्स की चेयरपर्सन हैं। उन्हें अक्सर पहली ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के रूप में जाना जाता है। उनकी सफलता की राह आसान नहीं थी लेकिन उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि अगर आपको खुद पर भरोसा है तो सब कुछ संभव है। वे ₹2 प्रतिदिन की मज़दूरी से शुरुआत कर ₹2 हज़ार करोड़ के साम्राज्य की मालकिन बन गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 17 सालों से बंद पड़ी ‘कमानी ट्यूब्स’ को मालिकों के हाथ से लेकर श्रमिकों को चलाने के लिये दे दी। तब श्रमिक कल्पना के पास मदद के लिये आए और वर्ष 2000 में कल्पना ने कंपनी के सारे विवाद, सारे ऋणों का निपटारा करवाया व कोर्ट की हर सुनवाई में जाने लगीं। 21 मार्च, 2006 को कोर्ट ने कमानी ट्यूब्स की कमान कल्पना के हाथों में दे दी। आज कल्पना सरोज, कमानी स्टील्स, कल्पना बिल्डर एंड डेवलपर्स, केएस क्रिएशंस जैसी दर्जनों कंपनियों की मालकिन हैं। समाजसेवा और उद्यमिता के लिये कल्पना को पद्म श्री और राजीव गांधी रत्न के अलावा देश-विदेश में दर्जनों अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।

फाल्गुनी नायर: इसके बाद नाम आता है फाल्गुनी नायर का, जिन्हें ‘भारतीय स्टार्टअप क्वीन’ भी कहा जाता है। ये इन्वेस्टमेंट बैंकर से उद्यमी बनीं। ये ब्यूटी और लाइफस्टाइल रिटेल कंपनी नायका (Nykaa) की संस्थापक और CEO हैं। नायर दो स्व–निर्मित महिला भारतीय अरबपतियों में से एक हैं। अप्रैल 2012 में नायर ने सौंदर्य और स्वास्थ्य उत्पादों की एक शृंखला को क्यूरेट करने वाले ई–कॉमर्स पोर्टल के रूप में ‘नायका’ की स्थापना की। ‘नायका एक महिला द्वारा संचालित पहला भारतीय यूनिकॉर्न स्टार्टअप बन गया। 1600 से अधिक लोगों की टीम का नेतृत्व करते हुए फाल्गुनी ने नायका को एक ब्यूटी और लाइफस्टाइल रिटेल एम्पायर में तब्दील किया है, जो देश में अपने खुद के लेबल सहित 1500 प्लस ब्रांड्स के पोर्टफोलियो के साथ भारत के अग्रणी ब्यूटी रिटेलर के रूप में उभरा है।

देविता सराफ: देविता सराफ Vu Televisions की संस्थापक, चेयरमैन व सीईओ हैं। इन्होंने 24 वर्ष की उम्र में स्मार्ट टीवी बनने की शुरुआत की थी। उन्होंने टीवी और कंप्‍यूटर के फीचर्स को मिलाकर एडवांस्‍ड टीवी बनाया। इसमें यूट्यूब, OTT प्‍लेटफॉर्म्स सहित डीटीएच चैनलों का भी आनंद लिया जा सकता है। वर्ष 2006 में लोगों तक इस प्रोडक्‍ट को पहुँचाना और उन्‍हें इसके लिये राज़ी करना बड़ी चुनौती थी। यही कारण है कि उन्हें सफलता के लिये लंबा इंतज़ार करना पड़ा। उनकी कंपनी ने शुरुआती 8 वर्षों में सिर्फ ₹30 करोड़ का बिज़नेस किया जबकि अगले 4 वर्षों में ₹1000 करोड़ का कारोबार कर डाला। 2019 में ‘फॉर्च्यून इंडिया भारत की सबसे शक्तिशाली 50 महिलाओं’ की सूची में देविता अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। Vu का सालाना टर्नओवर करीब 130 मिलियन डॉलर है।

श्रद्धा शर्मा: ये भारतीय पत्रकार और YourStory नामक वेबसाइट की संस्थापक व सीईओ हैं। श्रद्धा शर्मा ने YourStory की शुरुआत इसलिये की क्योंकि उनका मानना है कि भारत के नए दौर के उद्यमियों की कहानियाँ सुनी जानी चाहिये। उन्होंने YourStory को भारत के अग्रणी डिजिटल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म में से एक बना दिया है, जिसके मूल में प्रेरणादायक कहानियाँ हैं।अब तक, YourStory ने 22,000 से ज़्यादा उद्यमियों की कहानियाँ प्रकाशित की हैं और 50,000 से ज़्यादा उद्यमियों को बिज़नेस फंडिंग और नेटवर्किंग की संभावनाओं से जोड़ा है। अंग्रेज़ी के अलावा कहानियाँ 12 भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होती हैं और दुनियाभर में इसके पाठकों की संख्या 10 मिलियन से ज़्यादा है। YourStory ने जर्मनी में भी स्टार्टअप की कहानियाँ प्रकाशित करने के लिये अपना विस्तार किया है। इन्हे लॉरियल पेरिस, फेमिना, विलग्रो जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

अनीशा सिंह: अनीशा सिंह एक प्रमुख भारतीय महिला उद्यमी और MyDala की संस्थापक व सीईओ हैं। MyDala एक प्रमुख भारतीय कूपन और डील वेबसाइट है, जो उपयोगकर्त्ताओं को विभिन्न सेवाओं और उत्पादों पर छूट प्रदान करती है। वे सभी महिलाओं के मुद्दों और अभियानों का बेबाकी से समर्थन करने के लिये जानी जाती हैं। अनीशा नई दिल्ली से हैं और उन्हें भारत की सबसे सफल व्यवसायी महिलाओं में गिना जाता है।

विनीता सिंह: सफल महिला उद्यमियों में विनीता सिंह का भी नाम है। विनीता सिंह ‘शुगर कॉस्मेटिक्स’ (SUGAR Cosmetics) की सह-संस्थापक और सीईओ हैं। उन्होंने भारतीय ब्यूटी और पर्सनल केयर इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। 2015 में, विनीता सिंह ने कौशिक मुखर्जी के साथ मिलकर शुगर कॉस्मेटिक्स की स्थापना की। यह ब्रांड उच्च गुणवत्ता वाले और किफायती सौंदर्य उत्पादों की एक विस्तृत शृंखला प्रदान करता है। शुगर कॉस्मेटिक्स तेज़ी से लोकप्रिय हुआ और आज यह भारत के सबसे प्रमुख ब्यूटी ब्रांड्स में से एक है।

वंदना लूथरा: वंदना लूथरा एक वीएलसीसी (VLCC) हेल्थ केयर लिमिटेड की संस्थापक हैं। उन्होंने भारतीय स्वास्थ्य और सौंदर्य उद्योग में उल्लेखनीय योगदान दिया है 1989 में, वंदना ने नई दिल्ली में वीएलसीसी (VLCC) की स्थापना की। उस समय, भारत में स्वास्थ्य और सौंदर्य सेवाओं का एक व्यवस्थित उद्योग नहीं था। वीएलसीसी का उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य और सौंदर्य से संबंधित समस्याओं के लिये संपूर्ण समाधान प्रदान करना है। वीएलसीसी अब एक प्रमुख ब्रांड है, जो वेट मैनेजमेंट, स्किन केयर, और ब्यूटी ट्रीटमेंट्स में विशेषज्ञता रखता है।

किरण मजूमदार शॉ: किरण मजूमदार शॉ बायोकॉन लिमिटेड की संस्थापक और चेयरपर्सन हैं। 1978 में उन्होंने अपने घर के गैरेज से ‘बायोकॉन’ की स्थापना की, जो शुरुआत में औद्योगिक एंज़ाइम बनाने का काम करती थी। बायोकॉन लिमिटेड अब एक बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी है, जो बायोथैरेप्यूटिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, और अन्य जैविक उत्पादों के अनुसंधान और निर्माण में अग्रणी है। किरण मजूमदार शॉ को पद्म श्री, पद्म भूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

अरुंधती भट्टाचार्य: ये भारत के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अध्यक्ष के रूप में सेवा करने वाली पहली महिला थीं। 1977 में अरुंधती एक अधिकारी के रूप में बैंक में शामिल हुईं।अरुंधती भट्टाचार्य भारतीय बैंकिंग जगत की प्रमुख हस्ती हैं। वह भारतीय स्टेट बैंक की पहली महिला चेयरपर्सन बनीं, और उन्होंने 2013 से 2017 तक इस पद पर कार्य किया। उनके नेतृत्व में SBI ने कई महत्त्वपूर्ण सुधार और योजनाएँ लागू किये, जिससे बैंक की स्थिति मज़बूत हुई। उनकी सेवाओं के लिये उन्हें विभिन्न पुरस्कार और सम्मान मिले हैं।

राधिका अग्रवाल: राधिका अग्रवाल भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी ShopClues की सह-संस्थापक और मुख्य व्यवसाय अधिकारी हैं। उन्होंने 2011 में संदीप अग्रवाल और संजय सेठी के साथ मिलकर ShopClues की स्थापना की। राधिका अग्रवाल ने कंपनी को भारत में एक प्रमुख ऑनलाइन मार्केटप्लेस के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। Shopclues ने विभिन्न कैटेगरीज़ में उत्पादों की विस्तृत शृंखला पेश की है, जिसमें फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, होम डेकोर, और हेल्थकेयर उत्पाद शामिल हैं। कंपनी ने अपनी विशेष 'फ्लैश सेल्स' और 'मेगा क्लूज़ सेल्स' के माध्यम से कई उपभोक्ताओं को आकर्षित किया है और अपने अनूठे बिज़नेस मॉडल और ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण के कारण भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है।

उपर्युक्त महिला उद्यमियों की उपलब्धियों के वर्णन के पश्चात् यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि उक्त सूची गैर-अनन्य (Non-exclusive) है। अर्थात्– इसमें इन 10 महिला उद्यमियों के अलावा भी अनेकों-अनेक नाम शामिल किये जा सकते हैं, जो कि एक समावेशी व प्रगतिशील समाज के रूप में हमारे लिये अत्यंत गर्व का विषय है किंतु सूची में महिला सशक्तिकरण की प्रतीक ऐसी कई महिलाओं के नाम हमसे छूट गये हैं। साथ ही, सूची में शामिल महिलाओं के उल्लेख के क्रम का इनकी महत्ता से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। अपने-अपने दायरे में इन सभी का महत्त्व, संघर्ष और प्रेरणा एकसमान स्तर का रहा है।

किसी ने ठीक ही कहा है," श्रृंगार करती हुई स्त्रियों से ज्यादा सुंदर लगती हैं– संघर्ष करती हुई स्त्रियाँ। अपने परिश्रम से महिलाएँ केवल अपनी तकदीर नहीं बदलतीं, बल्कि वे अपने संकल्प और समर्पण से दुनिया को भी बदल सकती हैं। आवश्यकता केवल इतनी है कि उन्हें रूढ़ियों के दायरों से बाहर आकर अपनी क्षमता का संपूर्ण उपयोग करने का अवसर दिया जाए।



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