सीयूईटी(CUET): दाखिले का नया द्वार

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  13-Feb-2023 | विमल कुमार




किसी भी संस्थान में दाखिला न सिर्फ विद्यार्थी के भविष्य को तय करता है बल्कि एक विद्यार्थी के किसी संस्थान से जुड़ने पर संस्थान का भी भविष्य निर्धारित होता है। जैसा कि शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गठित एनटीए का भी दृष्टिकोण है, “सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में शामिल होने वाले सही उम्मीदवार भारत को उसका जनसांख्यिकी लाभांश देंगे।” इसलिए दाखिले की प्रक्रिया बेहद अहम पड़ाव है जो पीढ़ी और संस्था निर्माण से संबंधित है। वर्तमान प्रतिस्पर्धी माहौल में दाखिले की प्रक्रिया सिर्फ पारदर्शिता की ही मांग नहीं करती है बल्कि एक ऐसी प्रणाली की भी मांग करती है जो विद्यार्थियों के लिए सरल, सहज और समावेशी हो।

अलग-अलग समय में किसी संस्थान में दाखिले के अलग मानक रहे हैं। आजकल कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) चर्चा का विषय है। वर्ष 2022 में आवेदन की आखिरी तारीख तक कुल 14.9 लाख छात्रों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया। संख्या के लिहाज़ से यह देश की शीर्ष परीक्षाओं में दूसरे स्थान पर है। सीयूईटी की शुरुआत 2010 से ही हुई लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रमुख उद्देश्यों में से एक होने की वजह से इसे विगत वर्ष से गतिशीलता मिली है। यूजीसी के चेयरमैन ने बताया कि सीयूईटी 2023 की अधिसूचना भी जल्द ही जारी होने वाली है।

सीयूईटी की प्रक्रिया और उद्देश्य से कई गंभीर प्रश्न जुड़े हैं। सीयूईटी की प्रवेश प्रक्रिया को लेकर विद्यार्थियों में असमंजस तथा इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं से जुड़ी कई आशंकाएं भी हैं। कुछ लोग इसे स्नातक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ शिक्षा सुधार के रूप में देखते हैं तो कुछ लोग इसकी प्रक्रिया और स्वरूप को लेकर इसकी आलोचना भी करते हैं।

सीयूईटी भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की महत्वकांक्षी योजना है। शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि, “कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) देश भर के उम्मीदवारों, विशेष रूप से ग्रामीण और अन्य दूरस्थ क्षेत्रों के उम्मीदवारों को एक साझा मंच और समान अवसर प्रदान करेगा और विश्वविद्यालयों के साथ बेहतर जुड़ाव स्थापित करने में मदद करेगा। एक एकल परीक्षा उम्मीदवारों को एक व्यापक आउटरीच को कवर करने और विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया का हिस्सा बनने में सक्षम बनाएगी।”

प्रक्रिया-

शिक्षा मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा सीयूईटी परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) को सौंपी गयी है। एनटीए की भूमिका उम्मीदवारों के पंजीकरण, परीक्षा के आयोजन, उत्तर कुंजी जारी करना, चुनौतियों को आमंत्रित करना, उत्तर कुंजी को अंतिम रूप देना, परिणाम तैयार करना, घोषित करना तथा स्कोर कार्ड जारी करना है। एनटीए द्वारा प्रदान किये गए सीयूईटी के स्कोर कार्ड के आधार पर विश्वविद्यालय व्यक्तिगत काउंसलिंग आयोजित कर सकते हैं। परीक्षा का प्रकार सीबीटी (कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट) है। टेस्ट ("भाषा" टेस्ट के अलावा) 13 भाषाओं में आयोजित किया जाता है।

सीयूईटी परीक्षा को तीन खंडों में बांटा गया है- पहला भाषा पर केंद्रित है और दूसरा विशिष्ट विषय डोमेन पर हो सकता है, जिसके लिए छात्र को प्रवेश लेना है और अंतिम सामान्य क्षमता पर आधारित है।

विश्वविद्यालय दाखिले के लिए पात्रता मानदंड निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।

उद्देश्य-

  • समान प्रवेश परीक्षा से सभी विश्वविद्यालयों के लिए लगातार बढ़ती कट-ऑफ (डीयू की तरह) पर रोक लगेगी और रट्टा मारने की प्रवृत्ति में गिरावट आएगी।
  • इसके माध्यम से विद्यार्थियों में चिंतनशीलता में अभिवृद्धि होगी।
  • चूंकि 12वीं के अंक देने में विभिन्न बोर्डों में एकरूपता नहीं है, इसलिए 12वीं के अंक भेदभाव का आधार बन जाते हैं जिससे प्रवेश पाने वाले छात्रों को समान अवसर नहीं मिल पाता है। सीयूईटी के माध्यम से अलग-अलग बोर्ड के छात्रों को भी समान अवसर प्राप्त होगा।
  • सीयूईटी अलग-अलग मानदंडों वाली विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए प्रवेश परीक्षाओं को समाप्त करके प्रवेश को अधिक सुव्यवस्थित और छात्र-हितैषी बनाते हुए एकल-खिड़की मंच भी प्रदान करने का कार्य करेगा।
  • इसके माध्यम से कई प्रवेश परीक्षा शुल्क के भुगतान, समय, प्रयास और धन की भी बचत होगी।
  • राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने परीक्षा की तैयारी के लिए अपनी वेबसाइट पर पर्याप्त पाठ्यक्रम और मॉक टेस्ट उपलब्ध कराए हैं जिससे मार्गदर्शन के नाम पर कोचिंग का बाजार कमजोर होगा।
  • सीयूईटी के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों से प्रवेश पाने वाले छात्र अपने क्षेत्र की भाषा और संस्कृति के वाहक बनेंगे जिससे विविधता की संस्कृति में इजाफा होगा।

आशंकाएं-

  • प्रवेश प्रक्रिया में देरी और नियमों की अस्पष्टता की वजह से विद्यार्थियों की भविष्य के प्रति चिंता।
  • क्षेत्रीय भाषाओं में कोई सन्दर्भ पुस्तकें नहीं हैं। इसके अलावा, कई राज्य बोर्ड विभिन्न सिद्धांतों की गहराई को कवर नहीं करते हैं, जबकि सीबीएसई पाठ्यक्रम में छात्रों को गहराई से पढ़ने की आवश्यकता होती है। पाठ्यक्रम की असमानता के प्रभाव पड़ने की भी आशंका।
  • तकनीकी अकुशलता की वजह से विद्यार्थियों में सीबीटी सिस्टम के प्रति असहजता का भाव।
  • परीक्षा के पहले दौर में एक और चुनौती का सामना करना पड़ा। कई परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी खराबी और अन्य समस्याएं थीं, जिसके परिणामस्वरूप कुछ विश्वविद्यालयों में 2023-24 शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में देरी हुई।
  • मनपसंद संस्थानों में चयन न होने पर सुदूरवर्ती क्षेत्रों में आधारभूत ढांचों में कमी की वजह से रहने और अध्ययन का संकट।

निष्कर्ष-

किसी भी बदलाव के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष होते हैं। सीयूईटी उच्च शिक्षा में एकरूपता स्थापित करने के साथ-साथ विविधता को संजोने का भी प्रयास है। सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक समान प्रवेश एक उम्मीद भरा कदम है। यदि कुछ तकनीकी दिक्कतों को सुधार लिया जाये तो यह पाठ्यक्रम को रटने के बजाय वैचारिक समझ, व्यापक कौशल और निर्णय लेने की क्षमता पर अधिक ध्यान केंद्रित करके पारंपरिक शैक्षणिक प्रतिमान को बदलती है। यह प्रक्रिया छात्रों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों और संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में प्रवेश की प्रक्रिया को "पर्याप्त वस्तुनिष्ठता" प्रदान करके और आवेदकों को राष्ट्रीय स्तर पर “सिंगल विंडो सिस्टम” में उपस्थित होने के लिए "समान अवसर" प्रदान करने का कार्य कर रही है।

  विमल कुमार  

विमल कुमार, राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। अध्ययन-अध्यापन के साथ विमल विभिन्न अखबारों और पत्रिकाओं में समसामयिक सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर स्वतंत्र लेखन और व्याख्यान के लिए चर्चित हैं। इनकी अभिरुचियाँ पढ़ना, लिखना और यात्राएं करना है।



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